फरेब
ससुराल में अपने अस्तव्यस्त पड़े कमरे में उसने देखा, बिखरे हुए सामान के साथ किसी अन्य नारी के परिधान भी
Read Moreवाणी हो सदा मिश्री घुली-सी, वाणी न हो कड़वी करेले-सी, वाणी मीठी हो मृदुल, मधुरिम, वाणी सत्यार्थी, सुर-लय सरगम।। वाणी
Read Moreआंखों में सतरंगे सपने सुनहरे, सबल मैं, बुलंद हैं हौसले मेरे।। सतत अभ्यास, अथक प्रयास, श्रमसाफल्य से जीत का विश्वास।।
Read Moreरुमझुम-रुमझुम पायल छनकाती, खनखन-खनखन कंगना खनकाती।। छुई-मुई सी, चली सुहासिनी मतवाली, प्यारी, दुलारी बिटिया रानी अलबेली।। नटखट, नेह सागर भर-भर
Read Moreरूमक-झुमक आओ माता रानी, आओ जगदंबे, महिषासुर मर्दिनी, पूजा-अर्चना, करुं विधिवत प्रार्थना, जगत कल्याणी, माँ शक्तिदायिनी।। माँ अति कठोर हो
Read Moreसुरमई संगीत से समां सुहाना हो गया था। जगह-जगह ‘वन्य जीव सप्ताह’ के उपलक्ष्य में बैनर, गुब्बारे, सजावट से जंगल
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