कविता
जो जलाना है तो तुमजला दो किसी का अश्रु-सागर। जो रंगना है रंग तो तुमरंग डालो घृणा और द्वेष को।
Read Moreपरिचय चंद्रमा सदैव से ही मानव की कल्पनाओं को आकर्षित किये हुए है। रात के आकाश में इसकी चमकती उपस्थिति,
Read Moreब्रह्माण्ड की मूलभूत ऊर्जा के नौ रूपों के अवतरण को नवरात्रि के रूप में मनाया जाता है। रात्रि में मनाए
Read Moreब्रह्माण्ड की मूलभूत ऊर्जा के नौ रूपों के अवतरण को नवरात्रि के रूप में मनाया जाता है। रात्रि में मनाए
Read Moreकितना लगता है वक्त, प्रथा को कुप्रथा बनने में? उतना ही जितना एक मुंह से एक शब्द निकलने के बराबर
Read Moreबाई-बाई कह दें कोरोना को जो कहते हैं वो होता है। हम जो सोचें वो कर देते रोना भी रोना
Read Moreमैं कोई लेखक नहीं हूँ, लेकिन लिखता हूँ। उसी विधा में, जिस विधा में सुविधा हो। आखिर दुविधा-विधा में क्यों
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