हर साल जलता है रावण। बचपन में अखबार में पढ़ते थे, और आज कल सोशल मीडिया पर कि, जला दो अपने अंदर का रावण। यह भी पढ़ते आए कि होती है सत्य की विजय। और यह भी कि बुराई का होता है अंत ऐसे ही – रावण की तरह। हालांकि, यह सब कभी देखा नहीं। […]
Author: डॉ. चंद्रेश कुमार छतलानी
नवरात्रि के नौ व्रत : आज के समयानुसार
ब्रह्माण्ड की मूलभूत ऊर्जा के नौ रूपों के अवतरण को नवरात्रि के रूप में मनाया जाता है। रात्रि में मनाए जाने का कारण मुझे यह लगता है कि अन्य तारों की तरह ही सूर्य और उसका प्रकाश प्राकृतिक है। यह सब कुछ एक दिन समाप्त होना है। तब, जो शेष बचता है वह अन्धेरा है। […]
नौ दिन समयानुसार नवरात्रि व्रत के
ब्रह्माण्ड की मूलभूत ऊर्जा के नौ रूपों के अवतरण को नवरात्रि के रूप में मनाया जाता है। रात्रि में मनाए जाने का कारण मुझे यह लगता है कि अन्य तारों की तरह ही सूर्य और उसका प्रकाश प्राकृतिक है। यह सब कुछ एक दिन समाप्त होना है। तब, जो शेष बचता है वह अन्धेरा है। […]
अंध-अविश्वास
कितना लगता है वक्त, प्रथा को कुप्रथा बनने में? उतना ही जितना एक मुंह से एक शब्द निकलने के बराबर और वह शब्द है – अंधविश्वास। बिना चर्चा की समझ हो या बिना समझ की चर्चा। ना जानने के कारण – मानना भी हो जाता गलत!! खैर, ये तो मानो – अंधविश्वास की तरह ही […]
नया पकवान
एक महान राजा के राज्य में एक भिखारीनुमा आदमी सड़क पर मरा पाया गया। बात राजा तक पहुंची तो उसने इस घटना को बहुत गम्भीर मानते हुए पूरी जांच कराए जाने का हुक्म दिया। सबसे बड़े मंत्री की अध्यक्षता में एक समिति बनाई गई जिसने गहन जांच कर अपनी रिपोर्ट पेश की। राजा ने उस […]
बाई-बाई कह दें कोरोना को
बाई-बाई कह दें कोरोना को जो कहते हैं वो होता है। हम जो सोचें वो कर देते रोना भी रोना रोता है। आइये साफ रहें हम सब स्वच्छ मन हो – स्वच्छ तन हो। रोग प्रतिरोधक बढ़ाएं, ताकि कोरोना भी सहन हो। जो हो तन-मन शक्तिशाली कैसे कहां कोरोना होता है? बाई-बाई कह दें कोरोना […]
जेहाद
शहरों ने छेड़ दी है जेहाद – बीमार होने की एक-एक कर नाम आ रहा है अपराधियों की लिस्ट में। यूं तो शहर खुद भी परेशां हैं, क्योंकि शहरों के ज़ख़्म, बागों के बागी हो जाने पे हरे ही रह गए। बागों के भी क्या कहने! वे कहने को कहते कि जडों की जद में […]
कोरोना से डरो
मैं कोई लेखक नहीं हूँ, लेकिन लिखता हूँ। उसी विधा में, जिस विधा में सुविधा हो। आखिर दुविधा-विधा में क्यों हो? वो बात और है कि जिसकी प्रिय विधा काव्य है वह गा नहीं सकता – कोरोना वायरस है कैसा? जिसकी प्रिय विधा फोटोग्राफी है वह खींच नहीं सकता चित्र – कोरोना वायरस का। […]
मेरे ज़रूरी काम
जिस रास्ते जाना नहीं हर राही से उस रास्ते के बारे में पूछता जाता हूँ। मैं अपनी अहमियत ऐसे ही बढ़ाता हूँ। जिस घर का स्थापत्य पसंद नहीं उस घर के दरवाज़े की घंटी बजाता हूँ। मैं अपनी अहमियत ऐसे ही बढ़ाता हूँ। कभी जो मैं करता हूं वह बेहतरीन है वही कोई […]
आइये प्रपोज़ करें
आइये प्रपोज़ करें अनंत ब्रह्माण्डों तक फैले हुए अपने ही ईश्वर को। जो जनक है प्रेम का। आइये प्रपोज़ करें अपनी ही आकाशगंगा को। जिसकी संरचना में कहीं-न-कहीं हम सभी ढले हैं। आइये प्रपोज़ करें अपने ही सूर्य को। रोशन कर देता है जो तन-मन-आत्मा भी। आइये प्रपोज़ करें अपनी ही पृथ्वी को। क्या कुछ […]