जीवन मेरा वसन्त मस्त रहती हूंँ अपनी दुनिया में, हंसती हूंँ हसाती हूंँ औरों को गले लगाती हूंँ जीवन मेरा वसन्त | कोयल की कूक, पपीहे की पीहू , गीत गाती गुनगुनाती हूँ, जीवन मेरा वसन्त | भेदभाव दूर करती हूंँ, प्रेम की मादकता लिए साथ चलती हूंँ गुंजायमान करती हूंँ, जन जीवन में चेतना […]
Author: चेतना सिंह 'चितेरी'
कैसी है मेरी मज़बूरी
हम अपनों से दूर हुए कैसी है मेरी मज़बूरी ? जिस माँ ने जनम दिया वह माँ आज है अकेली | उसके प्यार के लिए हम भाई आपस में लड़ जाते थे , हम दोनों को झगड़ते देख मांँ कहती – तुम दोनों मेरे राम लखन हो संस्कार दिया है हमने […]
बदलते रिश्ते
शादी की बहुत दिनों बाद अनोखी अपने ननिहाल गई, वहाँ उसने देखा नानी का घर कच्चे मकान के स्थान पर, पक्की ईंटों का आलीशान बँगला बन गया था। गाड़ी दरवाज़े पर जाकर खड़ी हुई, अनोखी ने कार से उतरते हुए घर के मुख्य द्वार की ओर क़दम बढ़ाए। घर की कुछ महिलाएँ उसे देख और […]
संस्मरण – वे दिन भी क्या थे
मुझे आज भी वे दिन याद हैं जब गर्मी की छुट्टियों में मुंबई से मेरे बड़े ताऊ जी – ताई जी, पापा, भैया – भाभी महानगरी ट्रेन से गाँव आते थे। घर के सभी लोग बहुत ख़ुश होते थे। कि मई माह तक सभी लोग साथ में रहेंगे। 1990 तक मेरे घर का पिछला हिस्सा मिट्टी […]
सरगम
तेरे प्यार में सजना , तेरी सजनी संँवर रही..२ सात स्वरों से सजा है संगीत , सात फेरों से सजा है जीवन, सात जन्मों तक मिलें सजना तेरा प्यार तेरे प्यार में सजना ,तेरी सजनी सज रही , तेरे प्यार में सजना तेरी सजनी संँवर रही..2 तेरे प्रेम के धुन में, घर आंगन चहके, खिल […]
अभी कमाने की तुम्हारी उम्र नहीं
पढ़ – लिख कर नाम कमाओ! बेटा! अभी कमाने की तुम्हारी उम्र नहीं, महाराणा प्रताप के शौर्य की कहानियांँ सुन लो! बच्चा! अभी कमाने की तुम्हारी उम्र नहीं, गुरु के वचनों को ध्यान से सुन कर कंठस्थ कर लो! बचवा! फिर न विद्यार्थी जीवन आएगा, क्रोध , मद , लोभ त्यागो ! बेटा! अभी कमाने […]
ठिठुरन भरी पूस की रात
हम गरीबों का मसीहा कौन है? चांँद से बातें करता हूंँ , सिर पे मांँ – बाप का हाथ नहीं, पर , छोटे भाई का साथ है , अब खोने को कुछ बचा क्या है! अपना कोई ठिकाना नहीं , सड़क पर भटकता हूँ , मांँगने से कुछ मिल जाता है, छोटे भाई का आधा […]
वक्त
इस भागदौड़ की जिंदगी में किसी के पास वक्त नहीं , कुछ अपनों के लिए समय निकालें , वरना , जिंदगी यूँ ही निकलती जा रही , हम अपनों के साथ वक्त नहीं बिता पा रहे हैं , परिवार के साथ खुशी से जिएं, जो गुजर जा रहा है , वह न फिर आनेवाला , […]
शिक्षा से ही गरीबी दूर होगी
बाबूजी! कहांँ चलना है? आ जाइए ! मेरे रिक्शे में बैठिए! आप घबराइए नहीं मैं आराम से चलूंँगा , मुझे कहीं गड्ढा या ब्रेकर मिलेगा मैं रिक्शा की गति धीरे कर लूँगा। अम्मा आओ! पहले बैग हमको थमाकर आराम से रिक्शे पर बैठ जाओ, फिर सुरक्षित अपना समान पकड़ो, अम्मा! हम भी दो पैसे कमा […]
आशीर्वाद
बड़े बुजुर्गों से मिलता आशीर्वाद बेटी तुम हो! माँ सीता! जैसी; त्याग समर्पण की देवी, साक्षात् लक्ष्मी , जिस घर में जाओगी बिटिया! वह घर ख़ुशियों से भर जाएगा , मांँ सीता के जैसे ही ; तुममें प्रेम है, धैर्यता ,गंभीरता ,परिस्थितियों का सामना , तुम बख़ूबी कर लेती हो! बड़ा भाग्यशाली होगा ! वह […]