हम गरीबों का मसीहा कौन है? चांँद से बातें करता हूंँ , सिर पे मांँ – बाप का हाथ नहीं, पर , छोटे भाई का साथ है , अब खोने को कुछ बचा क्या है! अपना कोई ठिकाना नहीं , सड़क पर भटकता हूँ , मांँगने से कुछ मिल जाता है, छोटे भाई का आधा […]
Author: चेतना सिंह 'चितेरी'
वक्त
इस भागदौड़ की जिंदगी में किसी के पास वक्त नहीं , कुछ अपनों के लिए समय निकालें , वरना , जिंदगी यूँ ही निकलती जा रही , हम अपनों के साथ वक्त नहीं बिता पा रहे हैं , परिवार के साथ खुशी से जिएं, जो गुजर जा रहा है , वह न फिर आनेवाला , […]
शिक्षा से ही गरीबी दूर होगी
बाबूजी! कहांँ चलना है? आ जाइए ! मेरे रिक्शे में बैठिए! आप घबराइए नहीं मैं आराम से चलूंँगा , मुझे कहीं गड्ढा या ब्रेकर मिलेगा मैं रिक्शा की गति धीरे कर लूँगा। अम्मा आओ! पहले बैग हमको थमाकर आराम से रिक्शे पर बैठ जाओ, फिर सुरक्षित अपना समान पकड़ो, अम्मा! हम भी दो पैसे कमा […]
आशीर्वाद
बड़े बुजुर्गों से मिलता आशीर्वाद बेटी तुम हो! माँ सीता! जैसी; त्याग समर्पण की देवी, साक्षात् लक्ष्मी , जिस घर में जाओगी बिटिया! वह घर ख़ुशियों से भर जाएगा , मांँ सीता के जैसे ही ; तुममें प्रेम है, धैर्यता ,गंभीरता ,परिस्थितियों का सामना , तुम बख़ूबी कर लेती हो! बड़ा भाग्यशाली होगा ! वह […]
मानव जीवन
मेरे प्यारे बच्चों सुनो! बड़े भाग्य से मानुष तन पाया , आओ , इस जीवन को सार्थक कर लें , किस उद्देश्य यह जीवन मिला , आओ , हम इसको जाने , एक – एक पल बड़ा है मूल्यवान , रात्रि में सोने से पूर्व, अगले दिन की शुरुआत कैसे करें ? योजना बना लो! […]
प्रसन्न
जीवन में चाहे जितना भी ! कष्ट हो , मैं हमेशा प्रसन्न रहती हूंँ , सुख – दुख सुबह शाम जैसा; इनका आना – जाना जीवन में लगा ही रहता , जीवन में चाहे जितना भी कष्ट हो, फिर भी , मैं हमेशा प्रसन्न रहती हूंँ। मिलती है मुझको प्रेरणा काँटों में खिले फूलों से, […]
मछली
हे जलजीवन ! तुम मस्त रहती हो अपनी दुनिया में , ना तुममें भेदभाव की भावना , तुम प्रेममयी हो ! तालाब , नदियांँ , सागर की तुम रानी हो ! अहं नहीं तुमको अपनी सुंदरता पर , रंग – बिरंगी दिखती हो ! तुम तो मेरे मन को भाती हो , जल से करती […]
शतरंज की चाल
हमारी सूझ – बूझ हमारे जीवन को सफल बनाती है , सफलता मिलें जिंदगी ! में , कभी – कभी मुझे शतरंज की चाल चलनी पड़ती है। मैं सोच समझकर निर्णय लेती हूँ , नित कदम आगे बढ़ाती हूँ, कठिन परिस्थितियों में भी! समस्या का समाधान करती हूँ, जिंदगी में ज़फ़र मिलें, उसके लिए कभी […]
शून्य
मैं अपने जीवन से जब कभी हताश होती हूंँ , देख शून्य की ओर अपनी व्यथा सुनाती हूंँ। मौन होकर वह मुझे सुनता , मेरे मन का बोझ हल्का होता , चेतना प्रकाश से कहती – उसकी चुप्पी ही मेरी प्रेरणा बनती , फिर , मैं अपनी आंतरिक शक्तियों को एकत्रित करती हुई , अपनी […]
अजनबी चेहरे
कल की ही बात ( 20 नवंबर2022) है , मैं अपने ही शहर में अपनी बेटी को पुलिस लाइंस के पास कोचिंग छोड़ने गई थी। तब मैंने सोचा , स्कूटी में तेल नहीं है चलो पास में यही पेट्रोल पंप है ले लेती हूंँ , रोज आते – जाते पेट्रोल पंप पर तेल भरनेवाले पहचानने […]