पुस्तक समीक्षा

एनपीए नामक बीमारी के बेहतर इलाज का उत्कृष्ट दस्तावेज “एनपीए एक लाइलाज बीमारी नहीं”

एक साहित्यकार जब बैंकर होता है तो उसके मस्तिष्क में साहित्य के अतिरिक्त अर्थशास्त्र की चिंताएं भी कहीं न कहीं व्याप्त रहती हैं। दीपक गिरकर एक व्यंग्यकार, लघुकथाकार, समीक्षक एवं स्वतंत्र टिप्पणीकार है, लेकिन उनका कई सारा लेखन समकालीन राजनीति, आर्थिक, कृषि एवं बैंकिंग विषयों पर सामने आया है। इन दिनों उनकी एक महत्वपूर्ण पुस्तक […]

पुस्तक समीक्षा

व्यंग्य रचनाओं का रोचक संग्रह ” जीभ अनशन पर है “

नयी पीढ़ी की होनहार लेखिका समीक्षा तैलंग का प्रथम व्यंग्य संग्रह  “ जीभ अनशन पर है ” इन दिनों काफी चर्चा में है। देश के विभिन्न समाचार पत्र-पत्रिकाओं में समीक्षा की रचनाएं निरंतर प्रकाशित हो रही हैं. लेखिका पत्रकार थी, इसलिए वे अपनी पारखी नजर से अपने आसपास के परिवेश की विसंगतियों, विद्रूपताओं को उजागर […]

पुस्तक समीक्षा

पुस्तक समीक्षा : अश्वत्थामा के आपराधिक बोध और आत्मग्लानि का दस्तावेज

अनघा जोगलेकर का ऐतिहासिक उपन्यास अश्वत्थामा यातना का अमरत्व इन दिनों काफी चर्चा में है। इस उपन्यास के पूर्व अनघा जी की तीन पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। इस उपन्यास में अनघा जी ने महाभारत युद्ध के एक ऐसे योद्धा पर अपनी कलम चलाई है जिसका उल्लेख अधिक नहीं है। यह उपन्यास शापित योद्धा अश्वत्थामा […]

राजनीति

किसानों के दर्द को समझना जरूरी है

भारत कृषि प्रधान देश हैं. कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था व भारतीय जीवन की मुख्य धुरी हैं. अभी तक किसानों के दर्द को समझने, खेती-किसानी की समस्याओं का बेहतर समाधान खोजने व इसका सर्वोत्तम इलाज करने का प्रयत्न ही नहीं किया गया है. यह हमारे देश की विडम्बना है कि अभी तक कृषि क्षेत्र में आर्थिक सर्वेक्षण […]

इतिहास

चैतन्यानंद सरस्वती प.पू. श्री नाना महाराज तराणेकर

चैतन्यानंद सरस्वती प.पू. श्री नाना महाराज तराणेकर की जन्मतिथि पर विशेष चैतन्यानंद सरस्वती प.पू. श्री नाना महाराज तराणेकर जीवन में गुरू की अपनी एक विशेष जगह हैं. बिना गुरू के कभी ज्ञान प्राप्त नहीं होता हैं. भगवान दत्तात्रेय जो कि स्वयं भगवान विष्णु के अवतार थे फिर भी उन्होंने अपने जीवन में 24 गुरू बनाए. […]

राजनीति

बुजुर्गों की पेंशन में विसंगतियां

हमारे देश में बुजुर्गों के योगदान को समाज और सरकार द्वारा स्वीकार किया गया हैं. समाज के हर क्षेत्र में सृजनात्मक क्षमता को बढ़ाने के लिए इनका इस्तेमाल होते आ रहा हैं. संयुक्त राष्ट्र की विश्व जनसंख्या रिपोर्ट बताती है कि भारत में 60 वर्ष से अधिक उम्र पार कर चुके नागरिकों की संख्या काफ़ी […]

राजनीति

मनरेगा, सरपंच की मेड़ और भेड़ों का रेवड़

हमारे देश के अधिकांश गाँवों में एक पटेल रहता हैं. वह पटेल ही उस गाँव का सरपंच हुआ करता हैं. उसके पूर्व उस पटेल के पिताजी व पिताजी के पूर्व उसी पटेल के दादाजी उस गाँव के सरपंच हुआ करते थे. लेकिन अब कुछ वर्षों से कुछ गाँवों की सरपंच की सीट महिलाओं की लिए […]

अन्य लेख

हिमाचल प्रदेश में निरंतर गिरता भू-जल स्तर

पिछले दिनों प्रदेश का लोकप्रिय पर्यटन स्थल शिमला में पानी के लिए हाहाकार मचा हुआ था. सरकार ने 5 दिन के लिए स्कूल बंद कर दिए थे. प्रदेश में स्थितियाँ बेकाबू होने की ओर बढ़ रही हैं. वनों की आग एवं वनों की अंधाधुंध कटाई से भी भू जल-स्तर तेज़ी से गिरता जा रहा हैं. […]

राजनीति

युवा किसान खेती किसानी छोड़ने को मजबूर

भारत कृषि प्रधान देश हैं. कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था व भारतीय जीवन की मुख्य धुरी हैं. एक समय था जब हमारे देश में खेती को उत्तम, व्यापार को मध्यम और नौकरी को निकृष्ट माना जाता था. पुराने जमाने में किसी की हैसियत का अनुमान इसी बात से लगाया जाता था कि उसके पास कितनी खेती हैं. […]