कविता

एक बिटिया का सपना

बचपन से एक ही सपना था पिता का शान बढ़ाना है, बोझ नहीं होती हैं बेटियाँ ये साबित कर दिखलाना है। इस समाज में मैं बनाऊंगी अपनी अलग पहचान, मुझे देखकर लोग बिटिया को देंगे ऊँची उड़ान। मध्य वर्ग में जन्मी फिर भी उड़ने का लक्ष्य बनाया, और अपने सपनों में मैंने हौंसले का पंख […]

कविता

मानव जीवन अनमोल है

मानव जीवन अनमोल है करो इसका सम्मान, गुजरने वाला एक एक पल है बड़ा मूल्यवान। . कुछ भी बनने से पहले बन एक अच्छा इंसान, मृत्यु लोक में अमर हो जाये बना ऐसी पहचान। . ये जीवन फिर नहीं मिलेगा रखना इसकी शान, संकट के घड़ी में भी रखना मुख पर मुस्कान। . अभी जमीं […]

कविता

सुधर जा पाकिस्तान

{बनेगा दूसरा हिंदुस्तान} वक्त है अभी माफी माँगकर सुधर जा पाकिस्तान, वरना तेरे जमीं पे बनेगा दूसरा हिंदुस्तान। वसुधैव कुटुम्बकम् का हम तो पाठ पढ़ाने वाले हैं, भारत माँ पे जो आँख उठाये हम उसे मिटाने वाले हैं। हमारी जमीं से अलग हुआ था हमनें तुझको भाई माना, आतंक का बीज बोनेवाला दोस्ती का मूल […]

मुक्तक/दोहा

सावन मुक्तक

वादियों की शहनाई बनके गरजता है सावन, प्रेमियों की खुशी बनके छलकता है सावन, वर्षों से गोरी बैठी जो पीया मिलन की आस में, उस विरहन के आँसू बनके बरसता है सावन। -दीपिका कुमारी दीप्ति

सामाजिक

महिला और इंटरनेट

सोशल नेटवर्किंग महिलाओं को बाहरी दुनिया से जोड़ने का एक बहुत बड़ा जरिया है। चारदीवारी में कैद महिलाओं में कूपमंडूकता की भावना पनप चुकी थी। लेकिन ये नयी टेक्नोलॉजी चारदीवारी में ऐसी खिड़की बनी जिससे झाँककर महिलाएं पूरी दुनिया को देख सकती है। फेसबुक, ट्वीटर और ह्वाटसप तो महिलाओं के लिये वरदान साबित हुआ। इससे […]

मुक्तक/दोहा

मुक्तक : पिताजी

पिताजी अपनी मजबूरियाँ कभी न करते हैं बयान हमें सुख की छाँव देते हैं खुद बनके आसमान हमारी खुशियों के लिए वे खुद को भी बेच देते है फिर भी नहीं जताते हमपे कभी अपना एहसान — दीपिका कुमारी दीप्ति

कविता

दुनिया करेंगे रौशन

सब लोगों के दिल में बस जायेंगे हम ऐसा होगा हमारा जीवन, ऐसा दिन आयेगा जब बनके सूरज हम दुनिया करेंगे रौशन। ये पंछी-परींदे तो पंखों से ही भरते हैं ऊंची उड़ान, पंखों बिना हम जमीं पर से ही छू लेंगें ऊँचा आसमान, सितारों की दुनिया में हम नौजवां बनायेंगे अपना चमन ऐसा दिन आयेगा […]

कविता

बेटी का पिता

मानों स्वर्ग उतरा आँगन में कितनी हुई बधाई थी, फूले नहीं समाते पिता बिटिया जिस दिन आयी थी, भाग्यशाली समझते खुद को घर में आयी सीता, लेकिन वे अंजान थे मैं हूँ एक बेटी का पिता। जिगर की टुकड़े से एक पल हटती नहीं निगाहें, हर ख्वाहिश पूरा करते झूला थी उनकी बाहें, बाग की […]

कविता

इतिहास पुरुष अंबेडकर

चौदह अप्रैल का वो दिन था कितना महान चौदहवीं का चाँद उतरा चौदहवीं संतान महार जाति के निम्न वर्ग में जन्मे थे जो झेला अंबेडकर ने बहुत सा दुख अपमान। कबतक रोक सकेगा बादल सूरज को उगने से आग के कमल को क्या कोई रोक सकेगा खिलने से जिस राही के चलने से बन जाता […]

कविता

सपनों का हिंदुस्तान

सपनों का हिंदुस्तान ~~~~~~~~~~~~~~~ भगत,आजाद, सुभाष जैसे वीरों का देश है अपना, गाँधी,बुद्ध, गुरुनानक का हम पूरा करेंगे सपना, जाति-धर्म का भेद न हो जन-जन का हो विकास, खून-पसिनों से लिखने चल एक नया इतिहास, विवेकानंद,कलाम का हम पूरा करें अरमान, सूरज सा चमके अपना सपनों का हिंदुस्तान। आकाश में बनायेंगे हम एक नया संसार, […]