गजल
नैन राहों पे बिछाये रखना ! ख्वाब पलकों पे सजाये रखना ! नींद की भीड़ में न खो जाये ,
Read Moreसाँसो का बंधन तोड़ , यादों की गठरी छोड़ , राष्ट्रपंथ के पथिक ,तू भला किधर गया ? एक युग
Read Moreमुझमें अवगुण भी संभव हैं, मैं कोई भगवान नही हूँ ! उगकर, सूरज भी ढलता है । सुख के संग
Read Moreआज फुटपाथ बहुत सूने हैं , किसी नेता का आगमन होगा । धूप में खींचता सवारी है। धूप से भूख
Read Moreमुद्दा इससे गंभीर बने ,पूरा भारत कश्मीर बने । दिल्ली ! सत्ता का मोह त्याग ! है वक्त अभी
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