ग़ज़ल
वो कितना टूटा होगा ? जो मेरा सपना होगा । जिसका दिल बेजार हुआ सोचों वो कैसा होगा ? अश्क
Read Moreजंग लगे सारे विधान हैं , नव परिवर्तन लाना होगा ! शेरों को चिड़िया घर दे दो, बंदर वन पे
Read Moreउस उपवन को जल देकर ,वृथा समय बरबाद न कर! जिस उपवन में केवल काँटे वाले पेड़ पनपते हों ।
Read Moreकलम ! दर्द से रुक मत जाना , फुटपाथों की पीर लिखूँगा । देख अन्नदाता के चेहरे ! आखिर क्यों
Read Moreगाँव ! हमारा बचपन दे दे ! वह मिट्टी के सुघर खिलौने । वह काली बकरी के छौने । वह
Read Moreरात पूर्णिमा ,झंझा आया , धूमिल उजला चाँद हो गया । कुछ सपनों के चित्र सुनहरे । मेरे उर पट
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