मुक्तक
1- कुर्सियों पर चढ़े लुटेरे हैं । हर तरफ अजगरों के घेरे हैं । शहर बिजली में चमकते होंगे, गाँव
Read Moreक्यों ऊसर जमीन पर मैंने, आशाओं के बीज बहाए ? मायामय कुरंग के पीछे, क्यों मन के तुरंग दौड़ाए ?
Read Moreक्यों रसाल का स्वप्न देखते , मैंने तो कीकर बोये थे । झुर्री पड़े ,पुराने चेहरे । उर में घाव
Read More1- अब चुनाव मे खुब चले, मुर्गा दारू नोट । जो जैसा खर्चा करे,वैसे पावे वोट ।। 2- खादी
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