अंगारों पर चलते लोग। देख उन्हें भी जलते लोग। किसको – कितना लाभ हुआ सोच रहे, जब छलते लोग। पैसों की पाकर गरमी हिमखण्डों – से गलते लोग। नया खिलौना जब देखें शिशु की भाँति मचलते लोग। श्रम – उद्यम करने वाले सदा फूलते – फलते लोग। ठग, हँसकर ठग लेते हैं भौचक आँखें मलते […]
Author: गौरीशंकर वैश्य विनम्र
117 आदिलनगर, विकासनगर
लखनऊ 226022
दूरभाष 09956087585
दीपों का त्योहार
जगर – मगर दीपों का आया त्योहार। हँसी – खुशी का लाया, अनुपम उपहार। चमक – दमक, चहल-पहल, कोई न अकेले बिजली सजावट के जुड़े हुए हैं मेले झिलमिल सितारों – से, सजे घर – द्वार। सनसनाते राकेट, फट – फट, पटाखे फुर – फुर फुलझड़ी, धूम-धाम धड़ाके चमाचम महताब, सुर – सुर अनार । […]