ग़ज़ल
शब अँधेरी की अब सहर भी हो। उनको मेरी ज़रा ख़बर भी हो। रोज़ बनवाइये महल ऊँचे, बीच उनके मगर
Read Moreतन मन सारा शुद्ध कर, करता रोज़ निरोग। सेहत की चाहत अगर, नियमित करिये योग। योग शुरू यदि कर दिया,अब
Read Moreरब की नज़रों में वही,बन्दा होता खास। मातपिता को जो रखे,दिलके अपने पास। सारे अच्छे लोग जब, हो जायेंगे मौन।
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