जिसके अंतस में ममता का सागर उमड़ा, जिसके पयोधर में ममता का पयोधर घुमड़ा। राम! मेरे ओ राम ! राम ! तुम कब आओंगे? शेष नहीं वयबंध, दरश कब दे जाओंगे? करती सब प्रबंध कुटीर वह नित्य बुहारें, राम मिलन की आश पथिक की राह निहारें। मुख मुद्रा पर आस भरी उत्सुकता मन में, आएगे […]
Author: हेमराज सिंह 'हेम'
कोटा राजस्थान
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