है बहुत आजकल ये थकी ज़िंदगी। जिंदगी की तरह न लगी जिंदगी। शाख से टूट कर गिर न जाए कहीं, है पके फल सी अब ये पकी ज़िंदगी। बचपने से जवानी तो सोई रही, अब बुढ़ापे...
बिना बात ही डर गए क्यूं? टूट गए, बिखर गए क्यूं? मंज़िल तक तो पंहुच जाते, रस्ते- रस्ते ठहर गऐ क्यूं? सज़ा मिले बच्चों को ऐसा, ज़ुर्म जहां में कर गए क्यूं? ज़िंदा रहते हिम्मत थी...
अब जाने की तैयारी है क्या? पुरानी कोई उधारी है क्या? एक हाथ में फूल रखे हो एक हाथ कटारी है क्या? जवान होकर नहीं उठा रहे हो मां-बाप का बोझ भारी है क्या? संसद में...
रिंद, साक़ी, मयकदे की बात हो, हो नाम मेरा जब नशे की बात हो। जाईये न इस तरह की महफिलों में, लापता जिनमें पते की बात हो। दूरियां उनसे रखो जिनके लिए, प्यार करना बस मज़े...
अपनी कीमत निकाल कर रखना, सिर्फ इज़्ज़त संभाल कर रखना। वो गिरे जब भी तेरे हक में हो, ऐसा सिक्का उछाल कर रखना। फिर तो उसको यकीन आएगा, तू कलेजा निकाल कर रखना। अब गुज़ारा नहीं ...
दर्द दिल का सताए तो किससे कहें। मीत जब याद आए तो किससे कहें। जितना नज़दीक था यार पहले मेरा, दूर से अब बुलाए तो किससे कहें। है ये कैसा नशा बिन पिये जब मेरे, ये ...
कैसी पलकों में है ये नमी कुछ तो है। अब लगे ज़िंदगी में कमी कुछ तो है। बेवज़ह कोन जीता है इसको यहां, आदमी के लिये ज़िंदगी कुछ तो है। चढ़ के उतरे कभी फिर उतर...
वो होता नहीं हमारा क्यों, रुठा किस्मत का तारा क्यों! आते नहीं एक दिन मिलने, फिर करते हो इशारा क्यों! हम दोनो का इक दूजे बिन, अब होता नहीं गुजारा क्यों! चांदनी बिन चांद को तुमने,...
चारों और अंधेरा देखा दूर बहुत सवेरा देखा! मज़बूरों का फुटपाथों पे, मैने रेन- बसेरा देखा! बिखरे सब परिवार मिले, तेरा देखा, मेरा देखा! ससंद के गलियारों में, मक्कारों का डेरा देखा! ऐरे-गेरे जितने भी मिले,...
मेरी विधा से इतर एक प्रयास,,,,,,, दिन के बाद रात का आना ये सच है, ये अटल भी है, तेरे इसी आज में शामिल, आने वाला कल भी है, हकीकत पर जीवन की रुककर कुछ विचार...
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