ग़ज़ल
सूरत नहीं स्वभाव, देख, शहर नहीं तू गांव, देख! ठाठ-बाट महलों के देखे, झोपडी के अभाव, देख! जीवन ढोता रहेगा
Read Moreदो घडी को पास आओ, हो सके तो, या कभी हमको बुलाओ, हो सके तो! कबसे है रुठा हुआ सा
Read Moreदौड़ आएगी पुकारो, ज़िन्दगी राह में तेरी हज़ारों, ज़िन्दगी! ख़्वाब मेरे आसमां पर जा बसे अब उन्हें नीचे उतारो, ज़िन्दगी!
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