कविता

कविता

समय के पंख लगा, एक और वर्ष क्षितिज में समाया है, और हम कर रहे समीक्षा, हमने क्या खोया क्या पाया है, समय की कसौटी पर वही मानव खरा है, जिसके जीवन में धर्म की जय हो, जिसके जीवन में कर्म की विजय हो, जिसका जीवन हर पल सुखमय हो, जिसकी वाणी हरदम मधुमय हो, […]

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महिला है तो क्या हुआ

महिला है तो क्या हुआ, हम अबला नहीं है, हम कोई बेजुबान भी नहीं , हम भी पुरुष से कन्धा मिला कर चलती है, आज औरत प्रगति के हर क्षेत्र में , पुरुष की ही तरह भागीदार है, कल्पना , बिचेंदेरी ,विलियम , पी टी उषा , और सिंधु और साक्षी, , राजनीति में ,सेना […]

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आंसू का दर्द,

कुछ आंसू ऐसे होते हैं ,जो पलकों में रह जाते हैं , कुछ आंसू ऐसे होते हैं ,जो मिटटी में मिल जाते हैं, कुछ आंसू रात की स्याही में,तकिये में छिप जाते हैं, कुछ आंसू आने से पहले ही , हंसी में गुम हो जाते हैं, कुछ आंसू ख़ुशी के होते हैं,जो सहज भाव छलकते […]

धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

व्रत या उपवास

व्रत या उपवास हम बचपन से सुनते और देखते आये हैं, सबसे पहले मंगलवार को हनुमान जी का व्रत सुना था , फिर करवा चौथ , शुक्रवार को माता संतोषी का व्रत, माता वैभव देवी का व्रत, नवरात्रे का व्रत , आदि और सभी व्रत हमारी धार्मिक आस्था से जुड़े हैं,व्रत आदि परम्परागत धरणाओं के […]

कविता

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अदब से दुनिया वाले तुम्हारी, नेक दिली पर शीश नवाते हैं, रखते हो तुम जहाँ कदम वहां फूल बिछ जाते हैं , विधाता ने दी है तुम्हें वो शक्ति, गैर भी तुम्हारे गुण गाते हैं, न्यारी है सबसे शान तुम्हारी , हम गर्व से सबको बतलाते हैं, दर पर आपके आने वाले, खुशियों की झोली […]

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आत्मा

अजर है, अमर है आत्मा कभी नहीं मरती, यह आत्मा मरता है तो यह नश्वर शरीर मलीन – और पंच तत्व में हो जाता है विलीन अपने परमात्मा में हो जाती है लीन, हे मेरे प्रभु यह तो सतयुग युग की बाते हैं.. पर आज का इंसान– लगता है जीते जी मर चुकी है इसकी […]

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एक धर्मात्मा

वो आस्तिक या नास्तिक ही सही , पर पूरा तो ईमान रखता है … इंसानियत के नाते , इंसान की पहचान रखता है, नहीं करता कोई दिखावा , ना ही कोई आडम्बर करता है, पर आन पड़े ज़रुरत तो, हर गरीब की मदद करता है, ना तेरा मेरा ,ना छोटा न बड़ा . सबको एक […]

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अब शिकायत नहीं होती

खामोश हूँ मैं , अब शिकायत नहीं होती, अब इस ज़माने में , किसी का ‘दिल’ समझने की ‘रिवायत ‘ ही नहीं होती , खामोश हूँ मैं , क्यों की मैं लड़ता नहीं झूठों के झमेले में पड़ता नहीं, मेरी ख़ामोशी ही मेरा उपचार है, ‘खता’ भूलने में ही उपकार है, मेरी यह ख़ामोशी ही […]

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नारी

इस रिश्ते को निभाने का, एक प्यारा सा ढंग है, हर कन्या बचपन में ‘देवी माँ’ का रूप होती है, फिर बेटी बहन और पत्नी के रूप में सुख का प्रतिरूप होती है, मौसी बुआ चाची मामी साली अदि उसके अनेक रूप हैं, मुझे तो हर नारी में एक ‘माँ’के स्वरुप का आभास होता है, […]

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शाख से टूटे पत्ते

शाख से टूटे कुछ पत्ते कुछ मुरझाये ,कुछ सूखे कुछ मिटटी में सने हुवे मुस्काती कलियों को देख रहे थे और अपनी किस्मत पे रो रहे थे . तभी एक बेदर्दी ने आकर कलियों को मसल डाला और एक गरीब बुढ़िया ने सूखे पत्तों को , अपनी झोली में भर डाला कलियों को मसलने वाला […]