क्या है जिंदगी !
कभी समंदर उठते सैलाबों का, कभी एक ज़लज़ला ,कभी आग से जलते हुए सहरा सी है यह ज़िंदगी, फिर भी
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Read Moreमैं नित प्रात:काल जितनी श्रद्धा से, मंदिर जाता हूँ, उतना ही मेरा अन्तर्मन खिल जाता है, जितना मैं प्रभु चरणों
Read Moreगुरु नानक देव जी अपने दो शिष्यों के साथ भ्रमण पर निकले, जब बहुत देर हो गई चलते चलते, तब
Read Moreमेरे दिल ने मुझसे पूछा – उपवन क्यों सूना सूना है, यहाँ बहारों में भी फूल क्यूँ नहीं खिलते, जिसे
Read More०१ मई २०१५ , ‘मज़दूर दिवस’ पर सभी ईमानदार मेहनतकश इंसानों को समर्पित— मज़दूर दिवस, कब यह वक़्त बदलेगा- कब
Read Moreमौसम बार बार ले रहा है, बेमौसम की करवट, रंग बदलने में मार खा रहा है बेचारा गिरगिट, कभी
Read Moreबेचारा “अन्नदाता ” देश को रोटी खिलाने वाला, खुद रोटी को मोहताज़ है, यह कैसी व्यवस्था है, और यह कैसा
Read Moreसंध्या का समय , दूर क्षितिज में सूर्य अस्त हो रहा था, धरती पर धीरे धीरे अंधकार पसर रहा था,
Read Moreजो दूर है वह पास है, जो पास है वह दूर है, अजब है यह मोहब्बत, अजब इसका दस्तूर है,
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