Author: जय प्रकाश भाटिया

कविता

आ गए शुभ नवरात्रे

आ गए शुभ नवरात्रे  भक्तो माँ के दरबार में आओ, पाकर माँ का  आशीष, अपना जीवन सफल बनाओ, आओ भक्तों आओ, माँ वैष्णो देवी के दरबार , माँ चरणो में शीश झुका के माँ का करो सत्कार, माँ करती हैं अपने सब भक्तो पर उपकार, माँ की शरण में जो आया उसका बेडा पार, माँ वैष्णो देवी भरती,  है हर घर के भण्डार, माँ भक्त है सदा सुखी,पड़े न वक़्त की मार, आओ भक्तों आओ,चिंतपूर्णी  माँ के दरबार , माँ की भेंटें गा गा कर  माँ का करो सत्कार, चिंतपूर्णी माता रानी सब चिंता दूर करती है, अपने भक्तो की झोली में खुशियां भरती है, माता के दरबार में जो आकर शीश नवाता है, कष्टो से पाता मुक्ति, जीवन सुखी कर जाता है, आओ भक्तों आओ, माँ ज्वाला जी के दरबार , कंजको की करके पूजा, माँ का करो सत्कार, ज्वालाजी की ज्योति जो घर में रोज़ जलाता है, मन उसका रोशन होता, जग में नाम कमाता है, उस के घर न हो अँधेरा,माँ की ज्योति जलती है, उस की जीवन नैय्या, सुख के पतवार पर चलती है,

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