समुद्र का पानी
समुद्र का पानी खारा है तो क्या हुआ, सूरज की तपिश सह कर भी, बादल बन उड़ता है, टकराता है
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Read Moreवो भी क्या ज़माना था — जब सिर्फ पांच पैसे का एक पोस्ट कार्ड , इंसानी रिश्तो का – कितना
Read Moreसंपूर्ण क्रांति के जनक श्री लोकनायक जयप्रकाश नारायण जी का आज जन्म दिवस है उनको मेरी और से विनत श्रद्धांजलि……
Read Moreमन की इच्छा हो तुम मेरे जीवन की अभिलाषा हो , धुंधले से मेरे शब्दों की, तुम स्पष्ट रूप परिभाषा
Read Moreनन्ही नन्ही सावन की बूंदे क्या मनमोहक रूप सजाती है सूक्षम सुषम शबनम सी बनकर , यह फूलों पे इतराती
Read Moreदिनकर की स्वर्णिम किरणों ने, धरती का सुंदर रूप सजाया , काले मेघो ने सूरज के संग आँख मिचोली खेल
Read Moreबिखरे शब्द बार बार दिखते थे टकराते थे मेरी कलम से फिर न जाने क्यों लौट जाते थे, शायद मैं
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