इस हृदय के चित्रपट पर, प्रेम का तुम रंग भर दो। अब की होली में पिया, मुझको होली सा कर दो। नैन फिर गढ़ने लगे हैं, प्रेम के प्रतिमान अब। हर दिशा में गूंजती है, स्नेह की मुस्कान अब। रंग जितने हैं जहां में, सब तुम्हारे रंग है। तुम से ही बनने […]
Author: कामिनी मिश्रा
ढाई अक्षर
ढाई अक्षर प्रेम का, जो बांधे संसार। ढाई अक्षर की घृणा, जिसमें दुख अपार। ढाई अक्षर जन्म का, जो जीवन का सार। ढाई अक्षर मृत्यु है, स्वांसों का उद्धार। ढाई अक्षर अस्थि का, ढाई अक्षर मज्जा। जिसमें रूप रंग है, देह की साज-सज्जा। ढाई अक्षर मित्र का, हृदय की जो आस। ढाई अक्षर शत्रु का, संबंधों […]
तन पर तुम चंदन उगा दो
शब्द की सारी वर्जनाएं, तोड़कर विस्तार दे दो। गढ रहे हो प्रेम तो फिर, एक सुघड़ आकार दे दो। घोल कर कोई सुगंधी, तन पर तुम चंदन उगा दो। बनकर तुम पारस कोई, मुझको तुम कुंदन बना दो। नेह से तुम सीच कर, एक नया उपवन बना दो। टूटते हैं स्वप्न कितने, तुम इसे साकार […]
मां की ममता
जब भ्रूण बनकर आया तू गर्भ में, रक्त बनकर धमनियों में, बह रही थी ममता। जब तू शिशु बनकर आया गोद में, दुग्ध बनकर स्तनों में, बह रही थी ममता। जब तेरी किलकारी गूंजती थी आंगन में, होठों पर खुशी बन कर, नाच रही थी ममता। जब तू युवा हुआ, और स्वयं को स्थापित किया, […]
कोरोना वायरस
मानव के कुकृत्यों से, मां वसुंधरा भी अकुलाई है। मानव ने मानवता त्यागी, तब यह विपदा आई है। दया ,प्रेम करुणा सब भूला, असुरों सा व्यवहार करें। जीव जंतु तक कापे उससे, उसका भी आहार करें। धैर्य टूटा मां प्रकृति का भी, रच कर वह पछताई है। भीतर उसके छुपे विषाणु, पर एक विषाणु ऐसा […]