शादी की धूमधाम के बाद गृह प्रवेश के समय मन में अनेकानेक ख्वाब और अपने सुंदर भविष्य की कामना लिए पूजा अपने कदमों की छाप के साथ घर में आई। थकावट बहुत थी ,पर मन में उत्सुकता थी कि सासु मां कैसी होंगी। विनय को तो पहले से जानती थी पर उनकी मम्मी के बारे […]
Author: कामनी गुप्ता
ग़ज़ल
भले हों कितने मतभेद आपस में सब भूलना है सही जब बात वतन की तो आपस में लड़ना ठीक नहीं। अपने स्वार्थ की खातिर क्यों समझोता हो करते, कुछ गैरों के लिए अपनों को ही छलना ठीक नहीं। वो ताक में हैं बैठे कब से तुम्हारी बर्बादी देखने को, उनके इरादों को यूं हवा देकर […]
नफरतों को अब छोड़िए
नफरतों को अब छोड़िए , क्योंकि हमें देश को बचाना है। कोई गैर न तोड़ें ये एकता, हमें एक दूजे को समझाना है। देख रहे हम, क्या हो रहा है, चाल दुश्मन की समझें अब; समृद्ध होते देख वतन को, उसे तो आग में घी मिलाना है। हो न जाए देर, कहीं फिर से, इतिहास […]
ग़ज़ल
न हुई मुकम्मल ख्वाहिशें और रहा मलाल बरसों, चंद ख्वाबों को संजोए मैं फिर भी राह चलता रहा। नामुमकिन लगा जब कुछ सवालों का जवाब तो, मुट्ठी मैं खोल कर अपनी यूंही हथेली मलता रहा। इंतजार की इंतेहा जब सब्र खोने लगी रह रहकर, उस अधूरे ख्वाब का जिक्र मन को खलता रहा। मिलता नहीं […]
ग़ज़ल
दर्द तो दर्द था उसे मरहम लिखता कैसे। तुम्हारी बेवफाई की नज़्म लिखता कैसे। वो जो कहते नहीं हमें अपना अब तलक, उनके लिए यहां मैं से हम लिखता कैसे। आज जो पूछा है ये सवाल तो कह देता हूं, अजनबी को खुद से ही सनम लिखता कैसे। मेेरे बारे में सोचोगे तो जान लोगे […]
लघु कथा- अंतिम इच्छा
पूजा ….पूजा…पूजा! सासु मां ने आवाज़ लगाई, पूजा भाग कर सासु मां के पास आकर घबरा कर बोली… ममी जी क्या हुआ?? सासु मां रोने लगी, “पूजा तुम्हारे ससुर जी नहीं रहे”! उनकी हालत तो नाज़ुक थी, डाक्टर ने भी कहा था कि कोई भरोसा नहीं है, भगवान ने चाहा तो कुछ साल भी निकाल […]
रंग बदलती है ये दुनिया…
किसी के घाव पर मरहम नहीं छिड़कती है ये दुनिया। बस मौका मिले तो जीभर घाव कुरेदती है ये दुनिया। तुम खुद को तो समझा कर आगे बढ़ लोगे तन्हां मगर, जाने फिर क्यों तुम्हारा हमदर्द बन संग चल पड़ती है ये दुनिया। ज़िन्दगी में हार-जीत का अफसाना चलता रहता है, कभी आपस में लड़वाकर […]
ज़िन्दगी…
ज़िन्दगी में हार-जीत का आम अफसाना है। कभी दर्द कभी खुशियों का मिलता खजाना है। हम सोचते रहते हैं ज्यादा काम कम करते है यही से शुरू होता ज़िन्दगी समझने का तराना है। रिश्तों में कड़वाहट कभी मिश्री सी घुलती बातें हैं, रोना कभी हंसना बस यही रहता ताना-बाना है। पहले हम ही क्यों मनाएं […]
पूछती धरा कभी गगन से।
पूछती धरा कभी गगन से …. होगा अपना भी मिलन फिर तुम उदास क्यों हो? देख कर तुम्हारी व्यथा मन में उठती कसक है वो। तुम ऊंचाइयों पर हो खुद पर इतराते क्यों नहीं ?? तुम्हारी शीतलता पे जाने क्यों कायल होता हूं कहीं। कहां तुम कहां मैं ये मिलन तो लगता है नामुमकिन?? तुम्हारे […]
चलो सुंदर जहां बनाते हैं।
न धर्म न जाति देखें आओ ऐसा हिन्दोस्तान बनाते हैं। कुछ हम बदलें कुछ तुम बदलो चलो सुंदर जहान बनाते हैं। गैरों सी बात क्यों करें हम भला एक ही वतन के; हिन्दु मुस्लिम सिख ईसाई से बेहतर है भारत की शान बनाते हैं। वक्त बदला बहुत कुछ बदला सोच भी बदले तो बात बने; […]