माँ-
तुम्हारी गोद में सर रखकर अपने गम हल्के करता था | तुम थी तो हर दिन खुशियों का था |
Read Moreफिर होगा सागर मंथन, तुम बस इक मजबूत ढाल बन जाओ | हर युग के रावण के संहार के लिए
Read Moreएक कटाक्ष यह भी .. यूं तो हम सब बुद्धिजीवी दूसरों को समझाने या दोष निकालने में तत्पर रहते हैं
Read Moreबेटी ब्याह के जब पराए घर जाती है | सीख अपने बाबुल से यही लेकर जाती है | अब खत्म
Read Moreरजनी रह रहकर यही सोचती थी आखिर कौन सा है मेरा घर , वह घर यहां मैने जन्म तो लिया
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