पर्यावरण

ग्लोबल वार्मिंग एंव जल संकट

भौतिक सुख की दौड में, दौड रहे जो लोग, प्रदूषण फैला रहे, नहीं सत्य का बोध। ए. सी., कूलर, फ्रीज से, गैसों का उत्सर्जन, जल में भी करने लगे, रसायनों का उपयोग॥ जी हाँ, वातानुकूलित कमरे में बैठने वाले, गाडियों में चलने वाले तथा नदियों में रसायनयुक्त जल व  नगर की नालियों का पानी मिलाने […]

कविता

चिड़िया

चिड़िया तू मर जाना पर पिंजरे में मत जाना। मानव ने अपने मनोरंजन की ख़ातिर तेरी आज़ादी का हनन किया वन वृक्ष काट दिए सब पिंजरे में तुझे बन्द किया। चिड़िया तू पिंजरे में मत जाना। कहीं तुम उड़ न जाओ पंख तुम्हारे काट दिए जायेंगे वह भी तो कमरे की सज्जा मे नयी पहचान […]

मुक्तक/दोहा

पिता

धूप में जलते हैं खुद और पाँव में छाले पड़े, चलते रहें रात दिन, जितना भी चलना पड़े। चिन्ता यही रहती है बस, परिवार खुशहाल हो, बच्चों को रोटी मिले, चाहे भूखा खुद सोना पड़े। रोते बहुत वह भी मगर, आँसू नजर आते नही, भीतर से कोमल मगर, दर्द अपना कहते नही। पी लेते हलाहल […]

गीतिका/ग़ज़ल

होली गीतिका

होली खेलो कान्हा ऐसी, अंग अंग रंग जाये, भीगे चुनरी मोरी ऐसी, रंग न छूटन पाये। सतरंगी रंगों से खेलो, तन मन दोनों रंग दो, श्याम रंग में रंग दो मोको, दूजा रंग न भाये। कहाँ छिपे हो गिरधर नागर, सखियाँ ढूँढ रही, तरस रही अँखिया गोपिन की, किस ठौर तुम धाये। गोकुल मथुरा रंगहीन […]

मुक्तक/दोहा

मुक्तक

मेरे गीतों में छिपा है जीवन, मत इनको तुम मौन करो, गीतों में जीवन का दर्शन, मत इनको तुम गौण करो। मौन मुखर हो जाते जब जब, राह दिखाते जन जन को, मृगतृष्णा में भटका मानव, दिशा दिखाते कुछ शौण करो। विलुप्त हो रहे संस्कारों का, सार मिलेगा गीतों में, भटक रही युवा पीढ़ी को, […]

सामाजिक

नारी सशक्तिकरण (भारतीय सन्दर्भ)

नारी सशक्तिकरण की पहचान हो कैसे, यह हमको बतला डालो, क्या मानक, कौन पैमाना- कौन तराजू, इसको भी समझा डालो| क्या अर्धनग्न घूमना- उन्मुक्त जीवन ही, सशक्तिकरण कहलाता है, आर्थिक निर्भरता- संस्कारों से मुक्ति, सशक्तिकरण बन जाता है? जी हाँ, वर्तमान दौर मे यह स्पष्ट करना कठिन होता जा रहा है कि नारी सशक्तिकरण के नाम पर क्या […]

मुक्तक/दोहा

आप के धर्म युद्ध पर

जब गले की फाँस दिल तक आ गई, “आप” के चेहरे पर सिकन छा गई। घिर गये जयद्रथ कुरुक्षेत्र के मैदान में, आरोप कृष्ण पर, बाल छल पर आ गई। है अजब सी मानसिकता, धर्मयुद्ध में देखिए, अधर्म के साथ बहुत से, हैं धर्माचार्य देखिए। कोई निष्ठा से विवश, कुछ को सत्ता की चाह, मुफ़्त […]

मुक्तक/दोहा

गौरवशाली भारत

इतिहास के पन्नों से, वह इतिहास ग़ायब कर दिया, जिससे गौरवान्वित था भारत, काल ग़ायब कर दिया। इन्तिहा बेशर्मी की, किस कदर इनकी रही, सिकन्दर को महान बता, पोरस को ग़ायब कर दिया। विश्व के सारे अजूबे, आज भी भारत में हैं, हैं अनुठी कलाकृतियाँ, मन्दिर भारत में हैं। है नहीं सानी, दुनिया में जिनका […]

धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

होली महोत्सव

होली का त्यौहार है, प्यार और मनुहार का,  रंगों का साथ है, अबीर और गुलाल का। होली हिन्दुओँ  का वैदिक कालीन पर्व है। इसका प्रारंभ कब हुआ, इसका कहीं उल्लेख या कोई आधार नहीं मिलता है। परन्तु वेदों एवं पुराणों में भी इस त्यौहार के प्रचलित होने का उल्लेख मिलता है। प्राचीन काल में होली […]

गीतिका/ग़ज़ल

मातृभाषा दिवस

माँ की भाषा मातृभाषा, लोरी से सुनना सीखा था, नींद तुरन्त आ जाती, माँ की थपकी से सीखा था। माँ कीं भाषा में ही सबको, अम्मा बाबा कहते थे, उसी दौर पानी को मम, रोटी को हप्पा सीखा था। माँ सिखलाती भगवान को जय जय, हाथ जोड़ना, तुतलाती बोली में हमने, माँ की भाषा मे […]