Author: कृष्ण कान्त वैदिक

धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

याज्ञिक परम्परा में महर्षि दयानन्द का अप्रतिम योगदान

उवट, महीधर और सायणाचार्य आदि भाष्यकारों का विचार था कि वेद में वर्णित अग्नि, इन्द्र, वरुण, मित्र आदि कल्पित स्वर्ग

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

वेदों के अनुसार वास्तविक गोवर्धन पूजा

वेद के अनेक मंत्रों में गोदुग्ध से शरीर को शुद्ध, बलिष्ठ और कान्तिमान् बनाने का वर्णन मिलता है। इससे सिद्ध

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

अथर्ववेद के आलोक में आयुर्वेद विमर्श

शतपथ ब्राह्ममण ने यजुर्वेद के एक मंत्र की व्याख्या में प्राण को अथर्वा बताया है। इस प्रकार प्राण विद्या या

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

मोक्ष मार्ग का प्रथम सोपान है स्वाध्याय

सु$आङ् अधिपूर्वक इड्-अध्ययने धातु से स्वाध्याय शब्द बनता है। स्वाध्याय शब्द में सु, आ और अधि तीन उपसर्ग हैं। ‘सु’

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