क्षणिकाएँ
1- कल्पना का संसारकल्पना से आकांक्षा उपजै,आकांक्षा से आविष्कार,आविष्कार से फिर आकांक्षा हो,आकांक्षा से कल्पित संसार।कल्पना के संसार को,अल्पना का
Read Moreमुसाफिर हूँ यारो, हकीकत दुनिया की जानता हूं,मंजिल खुद चलकर पास नहीं आती, यह भी मानता हूं,तकदीर के भरोसे बैठने
Read Moreअपनी हिम्मत के लिए सरकार द्वारा पुरस्कृत होने की खबर से सिल्वी रोमांचित थी. हिम्मत से काम लेकर सिल्वी सबकी
Read Moreनिहालू प्लंबर वाशरूम का नल ठीक करने आया था. दरवाजा खोलने वाली वैशाली को वह एकटक देखता ही रह गया.“आइए.”वह
Read Moreजज़्बे वालों का, हिम्मत वालों का भी कोई जवाब नहीं होता. गौतम की जिंदगी में तब तूफान आ गया, जब
Read Moreकभी-कभी कोई तारीख इतनी विशेष हो जाती है, कि अद्भुत लगने लगती है. ऐसी ही एक तारीख है- 7 दिसंबर.हुआ
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