“बसंत जगा रहा है”
“बसंत जगा रहा है” शायद वो बसंत है, जो पेड़ों को जगा रहा है मंजरी आम्र का है, कुच महुआ
Read More“बसंत जगा रहा है” शायद वो बसंत है, जो पेड़ों को जगा रहा है मंजरी आम्र का है, कुच महुआ
Read Moreकभी कभी तो पतझड़ भी, पुलकित करता है वन उपवन कभी कभी तो बिन बरखा, दिल झूम के गाता है
Read Moreबुरा न मानों होली है…..जोगीरा सररररर………. होली में हुड़दंग मिला है, जश्न धतूरा भाँग….. रंग गुलाबी गाल लगा है, खूब
Read Moreतुलसी आँगन में रहें, सदा करे कल्याण दूध पूत स्वस्थ रहें , रोग करे प्रयाण रोग करे प्रयाण, सुन्दर चेहरा
Read Moreगर्व सखा कर देश पर, मतरख वृथा विचार माटी सबकी एक है, क्यों खोदें पहार क्यों खोदें पहार, कांकरा इतर
Read Moreसादर शुभ प्रभात मित्रों, आज विश्व महिला दिवस पर मंच की सभी महिला मित्रों को सादर प्रणाम, महिला शक्ति को
Read Moreमंच को सादर प्रस्तुत है एक शिवमय रचना, आप सभी पावन शिवरात्री पर मंगल शुभकामना, ॐ नमः शिवाय “कंहरवा तर्ज
Read Moreसादर निवेदित एक भोजपुरी उलारा जो रंग फ़ाग चौताल इत्यादि के बाद लटका के रूप में गाया जाता है। कल
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