मुक्तक
शुक्रवार,चित्र,अभिव्यक्ति-आयोजन आप सभी के सम्मान में प्रस्तुत है एक मुक्तक……. उखाड़ों मत मुझे फेकों, अरे मैं रेल की पटरी न
Read More“गीत-नवगीत” गीत कैसे लिखूँ नाम तेरे करूँ शब्द शृंगार पहलू समाते नहीं किताबों से मैंने भी सीखा बहुत हुश्न चेहरा
Read More“कुंडलिया” चहक चित्त चिंता लिए, चातक चपल चकोर ढेल विवश बस मे नहीं, नाचत नर्तक मोर नाचत नर्तक मोर, विरह
Read Moreऊपर के चित्र पर आधारित कुंडलिया छंद माँ बसंत मैं देख लूँ, आई तेरी कोख देख पतझड़ आयगा, नवतरु पल्लव शोख़
Read Moreआज का छंद है मत्तगयंद/मालती सवैया 211 211 211 211 211 211 211 22 मोहन मान बिना कब आवत नाचत
Read Moreपारिजात का पुष्प यह, खिली कली मुसकाय देवलोक की सुंदरता, निरखि हृदय ललचाय अति पवित्र अति सादगी, अति सुगंध आकार
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