“कुंडलिया छंद”
फुरसत में जीवन नहीं, जीवन बहुत महान माया ममता मन धरी, जानत सकल जहान जानत सकल जहान, जन्म यह कर्म
Read Moreफुरसत में जीवन नहीं, जीवन बहुत महान माया ममता मन धरी, जानत सकल जहान जानत सकल जहान, जन्म यह कर्म
Read Moreकभी देखता हूँ बुत को कभी खुद को देखता हूँ यह शहर है हमारा मै इसके कद को देखता हूँ
Read Moreसाथी सखा सभी गये, गयी बचपनी राह माया में महिमा गयी, बाकी बची न चाह बाकी बची न चाह, मित्र
Read Moreवंश बेल ज्यो ज्यो बढ़ें त्यों त्यों बढ़ें विधान दृढ ममता समता उगे छा जाए सकल जहान शुद्ध बुद्धी धन
Read Moreजा आइने से कह तनिक बदनाम है बस्ती मेरी लगा बोली खड़े बाजार गुमनाम है हस्ती मेरी कहां से आते
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