मुक्तक/दोहा

नीर के दोहे

जल संकट से मत डरो ,इसका करो निदान ,पानी की हर बूँद का ,कीमत जान सुजान। जल से ही जीवन चले ,जल से चले जहान ,जल का अपव्यय जो करे ,उसको मुजरिम मान। जल से ही है हौसला ,जल से मिलती शान ,जिसका पानी चूक गया ,वो निरीह इंसान। नीर बचाना सीख ले ,व्यर्थ बहा […]

गीतिका/ग़ज़ल

होली में

करे गुलाल कमाल अबकी होली में, सभी रहे खुशहाल अबकी होली में। आत्म मुग्धता मुझको दे गई गाली बिगड़ गए सुरताल अबकी होली में। साली हँसी अपनी बीबी मुस्काई , खुशियां रहीं बहाल अबकी होली में। यार रहे नाराज मन भी खिन्न रहा, खुद पर उठे सवाल अबकी होली में। कौन है गैर किसे हम […]

मुक्तक/दोहा

खेल खेलती जिंदगी

समझ सके ना जिंदगी ,समझ सके ना प्रीत,जीवन भर सुनते रहे ,बस जीवन संगीत। आती जाती जिंदगी ,बदले पल पल रंग ,कभी दुखों से दोस्ती ,कभी ख़ुशी से जंग। बोल रही है जिंदगी ,कर ले ज़रा प्रयास ,यूं ही हार न मानना ,नहीं छोड़ना आस। भूली भटकी जिंदगी ,रचती नित इतिहास ,जो गुलाब को चाहते […]

गीतिका/ग़ज़ल

उमंग

नए साल की नई उमंग ,बिखरेंगे खुशियों के रंग। सुबह खिलेंगे प्यारे फूल ,बगिया होगी मस्त मलंग। स्वेटर कोट रजाई शाल ,ले जाड़े से करना जंग। भली लगेगी प्यारी धूप ,लुकछुप होगी बादल संग। लेके खुशी सुहाने साल,देगा जीवन को खुशरंग। — महेंद्र कुमार वर्मा

मुक्तक/दोहा

सफलता नियम

लाभ हानि के गणित को ,समझो मेरे यार ,अगर सफलता चाहिए ,करो लाभ से प्यार। यही सफलता नियम है ,कर लो इसको याद ,नियमित जीवन से करो ,ख़ुशी भरे संवाद। समीकरण ये जीत का ,करना इससे प्यार ,करो भरोसा स्वतः पे ,ले मन धीरज धार। हरदम कठिन सवाल को ,सहज न लेना यार ,उसको धीरज […]

बाल कविता

भागेगा जाड़ा

सरदी जी लाए पैगाम ,शीत ऋतु का तुम्हे सलाम। सुबह जल्दी मत उठना तुम ,करना देर तलक आराम। दिन भर कम्पना जाड़े से ,करना नाही कोई काम। कसरत से कतराना मीत ,फिल्म देखते गुजरे शाम। अब स्नान की कर दो छुट्टी ,सखे बचा जाड़े से चाम । पीते रह के काफी चाय ,करना सरदी को […]

गीतिका/ग़ज़ल

फूलों से मुस्काना सीखो

सुख को मीत बनाना सीखो ,दुखड़ों को अपनाना सीखो। जीवन के हर कठिन समय में ,मस्ती में मुसकाना सीखो। अगर सफलता ना मिल पाए ,ताकत से भिड़ जाना सीखो। कोई समस्या आन पड़े तो ,जल्द उसे सुलझाना सीखो। साहस लेना सागर जी से , फूलों से मुस्काना सीखो। दूर कभी जब कोयल कूके ,खुशियों से […]

बाल कविता

खुशियों का मौसम मतवाला

खुशियों का मौसम मतवाला ,इससे खोलो दुख का ताला। जब छिटके चांदनी सुहानी ,नौकायन कर झील में लाला। शिमला और मनाली में तुम ,शीतलता का चखो निवाला। शाम घूमना जगमग मेला ,जहाँ ख़ुशी ने डेरा डाला। ये जीवन है एक झमेला ,इसे बनाना मस्ती वाला। — महेंद्र कुमार वर्मा

मुक्तक/दोहा

दोहे जीवन के

अपना मतलब है परम,बाकी सब बेकार सच्ची वाली मित्रता ,रोज रही हैं हार। साज नही वो सोहता,जिसके टूटे तार .रिश्ते वो होते सही ,जिसमे होता प्यार। हितकारी होता नही ,झगडा कलह विवाद ,इनसे बचना मीत ये,होते दुख अनुवाद। दुनिया धोखा है सनम,और जगत भ्रमजाल,दुख-सुख के जंजाल में .जीवन एक सवाल। ख़ुशी फूल जब भी खिलें,साथ रहे […]

बाल कविता

हरषाई तितली

वन उपवन को रंगों से खूब सजाने आई तितली। बगिया के नव कलियों पे ,प्रीत लुटाने आई तितली। देख महकते फूलों को ,मन ही मन हरषाई तितली। खुशियों की जब चली हवा,मन ही मन मुसकाई तितली। रंग बिरंगे फूल देख के ,खुशबू से ललचाई तितली। — महेंद्र कुमार वर्मा