ध्रूमपान करने वाले कर्मचारियों को हतोत्साहित करने के लिए जापान की एक कम्पनी ने ध्रूमपान न करने वाले कर्मचारियों को छह दिन की अतिरिक्त छुट्टी देने की अनोखी पहल शुरू की है। जिसके सकारात्मक परिणाम देखने...
लोकतंत्र में लोक और तंत्र के बीच में गहरी खाई पनपती जा रही है। लोकतंत्र के सारथी धनपति बनते जा रहें हैं, और समाज की अंतिम पंक्ति में खड़ा व्यक्ति आज भी मूलभूत सुविधाओं के लिए...
सड़कों पर घुमते बच्चों को क्या नाम दें, लेकिन यह भी एक बदलते भारत की तस्वीर है, जिस ओर एयरकंडीशन में बैठी हमारी लोकतांत्रिक राजशाही व्यवस्था शायद देखना नहीं चाहती। इनका अपना कोई ठिकाना भी नहीं...
आज के दौर की सामाजिक स्थिति को देखकर लगता है। क्या आज़ादी बाद चुनाव मात्र सिंहासन बदलने भर की रवायत बनकर रह गया है, क्योंकि जो असन्तुलन की खाई समाज और राजनीति के बीच पनप रही...
कैसा समाज बना रहें हैं। जिसमें न दुर्गा स्वरूपा मां सुरक्षित है, न कन्यापूजन के लिए घर हर घर में नवरात्रि में पूजी जाने वाली कन्या। यहां तक हिंदू मान्यता के अनुसार कहते हैं, मासूमों के...
आज के दौर की सामाजिक स्थिति को देखकर लगता है। क्या आज़ादी बाद चुनाव मात्र सिंहासन बदलने भर की रवायत बनकर रह गया है, क्योंकि जो असन्तुलन की खाई समाज और राजनीति के बीच पनप रही...
आंकड़े सिर्फ आहट की दस्तक़ नहीं देते, बल्कि सच्चाई से रूबरू कराते हैं। देश में लिंग-अनुपात के लगातार कम होने के जो आंकड़े हमारे सामने आ रहे हैं, वे न सिर्फ हमारी मानसिकता बताते हैं। यहां...
आजादी के सात दशक गुजरने के बाद भी अनगिनत देशवासी रोटी, कपड़ा और मकान की जद्दोजहद में हैं। कुछ इतने भूखे हैं कि उन्हें रोटी का जुगाड़ पहले, औऱ धर्म-सम्प्रदाय बाद में दिखता है, लेकिन दुर्भाग्य...
शिक्षक का उत्तरदायित्व क्या होता है। अगर हमारी रहनुमाई व्यवस्था आज तक तय नहीं कर पाई। तो इससे शर्मिंदगी की बात ओर कोई हो नहीं सकती। केंद्र की सरकार हो या राज्य की। शिक्षा को लेकर...
जीवन की पहली आवयश्कता भोजन और दूसरी दवा होती है। फ़िर कोई अन्य जरूरते। किसी संपन्न और खुशहाल प्रदेश के लिए नितांत जरूरी है, कि सूबे में शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क रूपी मूलभूत सुविधाओं के लाले न...
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