कोरोना है बड़ा खुर्राट लॉक हो या अनलॉक बेजरूरत ना निकलो घर से अपनी सुरक्षा अपने हाथ हाथ में हो सदा एक मास्क नहीं तो एक हो बड़ा रुमाल चेहरा न हो उघड़ा बाहर अपनी सुरक्षा अपने हाथ दादाजी हों या हों नानाजी दादीजी हों या हों नानीजी छोटे बच्चों करो ना हठ परेशान हैं […]
Author: मंजु शर्मा
लघुकथा — कंजिका
पुनिया परिवार लगभग साल भर पहले ही इस पाश कॉलोनी में रहने आया था। अपने पति देव के प्रमोशन की मन्नत पूरी होने होने की ख़ुशी में मिसेज़ पुनिया ने सारे नवरात्रे व्रत रखने संकल्प लिया था। चहुँ और नवरात्र की धूम मची हुई थी। अष्टमी के दिन कन्या जिमाने के लिए बच्चियां ढूँढे नहीं […]
लघुकथा — नए नियम
सीमा पार से पड़ौसी देश के सैनिक आतंकियों का लबादा पहन कर धोखे से हमारे कुछ सैनिकों का अपहरण करके ले गये। दस दिन बाद उन्हें अमानवीय यातना दे कर ,उनके सिर विहीन धड़ चुपचाप भारतीय सीमा में फेंक दिये। चंद मिनटों में ही ये ह्रदयविदारक समाचार पूरी दुनिया में आग की तरह फैल गया। […]
लघुकथा – अमीर बेटी
आज माँ की तेरहीं के भोज का आयोजन था। माँ के परलोक गमन से शोकमग्न चारों बहु बेटे काम में व्यस्त थे। गाँव में माँ के स्नेहिल स्वभाव से सराबोर दूर पास के सभी रिश्तेदार और परिचित आये थे। वे सब महानगर दिल्ली में अमीर परिवार में ब्याही बेटी सुंदरी जो दो चार साल में […]
लघुकथा — गलती
प्रदेश भर में छोटी-बड़ी, जवान -प्रौढ़ ,यहाँ तक कि इक्का दुक्का बुजुर्ग नारी के साथ जबरदस्ती करने की घटनाओं की बाढ़ सी आ गई। प्रिंट और इलेक्ट्रिक मिडिया हल्ला करने में एक दूसरे से होड़ लेते लग रहे थे।किसी भी दिन के समाचार बिना बलात्कार की खबर के पूरे ही नहीं हो रहे थे। नारी […]
लघुकथा — धरोहर
रमा वर्षों से बंद पड़े संदूक के सामान को उलट पलट कर देखती जाती और नाक मुहँ चढ़ाते हुए बड़बड़ाती जाती — ” आखिर कब तक मैं बुड्ढों के इन सड़े गले समानों को सहेज कर रखूँ , …दो कमरों के घर में बड़े होते बच्चों और बूढ़ों के साथ एडजस्ट करने में ही जिंदगी नीरस गुजरी […]
लघुकथा— सीक्रेट
जनरल स्टोर में छुटकी बड़ी देर से खड़ी थी। भीड़ ख़त्म होते ही छुटकी ने दूकानदार को मुट्ठी में दबा कागज का टुकड़ा पकड़ा कर कहा — ” ये दे दो ” , दुकानदार वो उसे पकड़ाने लगी तो छुटकी तेजी से धीमी आवाज में– ” किसी पेपर में लपेट के काली थैली में […]
लघुकथा — कर्तव्य
अपनी इकलौती संतान राजीव और बहु सुधा को हवाई अड्डे छोड़ कर गुप्ता दंपत्ति ने वापस घर में कदम रखा तो सूना घर काट खाने को दौड़ता सा लगा ,मिसेज़ गुप्ता घबराकर लगी तो गुप्ता जी भरे गले से से ढांढ़स देने लगे — ” चुप कर राजू की माँ ,… रो मत राजू के उज्जवल भविष्य […]
कविता
मैं ढूँढती हूँ तेरी आँखों में अपने को मगर तुम्हारी आँखों में समाहित है गम का समुन्दर मैं उसमें तैरती हूँ बहुत दूर और बहुत देर तक मगर तुम्हें मेरे होने का एहसास भी नहीं होता मेरी हरकतों से कोई स्पंदन तुम में नहीं होता …। मैं अपना नाम तुम्हारी जुबान पर लाने की चाहत […]
लघुकथा : सरप्राइज़
सीमा के पति रिटायर्ड होने वाले थे। अभी तक ना मकान बना था और ना ही बच्चे किसी काम धंधे अथवा नौकरी से लगे थे , इसलिए वो आने वाले दिनों को लेकर चिंतित , अनमनी ,खिड़की पे बैठी कहीं दूर निहारती विचारों में तल्लीन थी , तभी फोन की घंटी से उसकी तन्द्रा भंग हुयी तो रिसीवर […]