धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

मनुष्य कौन है?

हम मनुष्य कहलाते हैं परन्तु क्या हम वात्सव में मनुष्य हैं? हम मनुष्य क्यों कहलाते हैं? इस प्रश्न का उत्तर है कि हमारे पास मन व बुद्धि है जिससे हम विचार कर किसी वस्तु या पदार्थ आदि के सत्य व असत्य होने का निर्णय करते हैं। यदि मनुष्य किसी बात को मानता है तो उसे […]

इतिहास

आर्य कौन हैं और इनका मूलस्थान

मनुष्य श्रेष्ठ गुण, कर्म व स्वभाव को ग्रहण करने से बनता है। विश्व में अनेक मत, सम्प्रदाय आदि हैं। इन मतों के अनुयायी ईसाई, मुसलमान, हिन्दू, आर्य, बौद्ध, जैन, सिख, यहूदी आदि अनेक नामों से जाने जाते हैं। मनुष्य जाति को अंग्रेजी में भ्नउंद कहा जाता है। यह जितने मत व सम्प्रदायों के लोग हैं […]

इतिहास

स्वामी श्रद्धानन्द जी का आर्यसमाज के इतिहास में गौरवपूर्ण स्थान

महाभारत युद्ध के बाद विद्वानों की भारी क्षति तथा राजकीय अव्यवस्था के कारण धर्म एवं संस्कृति की उन्नति रुक गई और इनका पतन आरम्भ हुआ जो समय के साथ वृद्धि को प्राप्त होता गया। इसी का परिणाम ईसा की आठवीं शताब्दी से देश में परतन्त्रता का होना आरम्भ हुआ। उन्नीसवीं शताब्दी में देश अंग्रेजों का […]

धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

अद्वितीय महापुरुष योगेश्वर कृष्ण का जीवन आदर्श व अनुकरणीय है

  ओ३म् –कृष्ण जन्माष्टमी पर्व 18 अगस्त, 2022 पर– मनुष्य का जन्म आत्मा की उन्नति के लिये होता है। आत्मा की उन्नति में गौण रूप से शारीरिक उन्नति भी सम्मिलित है। यदि शरीर पुष्ट और बलवान न हो तो आत्मा की उन्नति नहीं हो सकती। आत्मा के अन्तःकरण में मन, बुद्धि, चित्त एवं अहंकार यह […]

धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

ईश्वर को कौन प्राप्त कर सकता है?

आज का संसार प्रायः भोगवादी है। संसार के लोगों की इस संसार के रचयिता को जानने में कोई विशेष रूचि दिखाई नहीं देती। सब सुख चाहते हैं और सुख का पर्याय धन बन गया है। इस धन का प्रयोग मनुष्य भोजन, वस्त्र, आवास, वाहन, यात्रा व बैंक बैलेंस में वृद्धि आदि कार्यों को करने में […]

धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

होली एक धार्मिक अनुष्ठान एवं आमोद-प्रमोद का पर्व है

आर्यावर्त उत्सवों एवं पर्वों का देश है। पर्व का अपना महत्व होता है। होली भी दीपावली, दशहरा, श्रावणी आदि की ही तरह एक सामाजिक एवं धार्मिक पर्व है। यह पर्व फाल्गुन मास की पूर्णिमा व उसके अगले दिन हर्षोल्लास से मनाया जाता है। इसे मनाने की प्रासंगिकता व महत्व अन्य पर्वों से कुछ अधिक प्रतीत […]

धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

उपासना, उपासना की आवश्यकता एवं उपासना से लाभ

मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। यह अकेला रहकर अपना जीवन व्यतीत नहीं कर सकता। इसे सज्जन पुरुषों की संगति तो अवश्य ही करनी होती है। ऐसा करके ही यह उनसे कुछ सद्गुणों को ग्रहण कर अपने जीवन को संवार सकता है। जिस मनुष्य के जीवन में सद्गुण नहीं होते, उस जीवन की कोई कीमत नहीं […]

सामाजिक

हमारी सुरक्षा हमारी समान विचारधारा के लोगों के संगठित होने पर ही संभव

मनुष्य मननशील प्राणी है। वह सभी विषयों पर विचार करता है और उन पर अपनी स्वतन्त्र सम्मति वा राय रखता है। वह अपने समान विचारों वाले लोगों को पसन्द करता है। परस्पर विरोधी विचारधारा वाले लोग एक-दूसरे को पसन्द नहीं करते व इस प्रकार सहयोग नहीं करते जैसे कि समान विचारधारा के लोग आपस में […]

धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

नियमित स्वाध्याय सब मनुष्यों के जीवन का आवश्यक अंग होना चाहिये

मनुष्य की आत्मा अनादि, नित्य, अजर, अमर, सूक्ष्म, ससीम, जन्म-मरणधर्मा, कर्म के बन्धनो में बंधी हुई, वेद ज्ञान प्राप्त कर उसके अनुसार कर्म करते हुए मोक्ष को प्राप्त होने वाली एक चेतन सत्ता है। चेतन सत्ता में ज्ञान एवं प्रयत्न गुण होता है। जीवात्मा एकदेशी होने से अल्पज्ञ होता है। इसको सुख व मोक्ष प्राप्ति […]

धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

विजया-दशमी दशहरा पर्व और रावण के वध की यथार्थ तिथि

प्रत्येक वर्ष भारत व देशान्तरों में जहां भारतीय रहते हैं, आश्विन शुक्ल पक्ष की दशमी को दशहरा पर्व मनाते हैं। इस पर्व से यह घटना जोड़ी जाती है कि इस दिन मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम ने अधर्म के पर्याय लंका के राजा रावण का वध किया था। क्या यह तिथि वस्तुतः रावण वध की ही […]