Author: *मनमोहन कुमार आर्य

धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

आर्यसमाज की स्थापना और इसके नियमों पर एक दृष्टि

ओ३म् महर्षि दयानन्द सरस्वती (1825-1883) उन्नीसवीं शताब्दी के समाज व धर्म-मत सुधारकों में अग्रणीय महापुरुष हैं। उन्होंने 10 अप्रैल सन्

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

महर्षि दयानन्द द्वारा लिखित व प्रकाशित ग्रन्थों पर एक दृष्टि

ओ३म् महर्षि दयानन्द (1825-1883) ने सन् 1863 में अपने गुरू दण्डी स्वामी विरजानन्द सरस्वती की मथुरा स्थित कुटिया से आगरा

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

यज्ञ का महत्व एवं याज्ञिकों को इससे होने वाले लाभ

ओ३म् चार वेद, ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद एवं अथर्ववेद, ईश्वरीय ज्ञान है जिसे सर्वव्यापक, सर्वज्ञ व सर्वशक्तिमान सृष्टिकर्ता ईश्वर ने सृष्टि

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

स्वामी दयानन्द के चार विलुप्त ग्रन्थ

ओ३म् स्वामी दयानन्द ने सन् 1863 में मथुरा में प्रज्ञाचक्षु दण्डी गुरु स्वामी विरजानन्द सरस्वती से विद्यार्जन पूरा कर अज्ञान

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

आओ ! सब भेदभाव मिटाकर व परस्पर मिलकर वेदों का सत्संग करें

ओ३म् मनुष्य व पशुओं में प्रमुख भेद मनुष्यों के पास बुद्धि का होना व पशु आदि अन्य प्राणियों के पास

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

मैं ब्रह्म नहीं, अल्प, चेतन व बद्ध जीवात्मा हूं

ओ३म् हम इस जड़-चेतन संसार में रहते हैं। यह सारा जगत हमारा परिवार है। सभी जड़ पदार्थ हमें अपने गुणों

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इतिहास

महर्षि दयानन्द के बहुप्रतिभावान् अद्वितीय शिष्य स्वामी श्रद्धानन्द

ओ३म् महर्षि दयानन्द (1825-1883) ईश्वर के सच्चे स्वरुप के जिज्ञासु तथा उसकी प्राप्ति के उपायों के अनुसंधानकर्त्ता थे। बाइसवें वर्ष

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

मनुष्यों एवं प्राणियों के जातिभेद ईश्वर व मनुष्यकृत दोनों हैं

ओ३म् ईश्वर ने इस संसार को अपने किसी निजी प्रयोजन से नहीं अपितु जीवों के कल्याणार्थ बनाया है। उसी ने

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

वैदिक धर्म में पिता का गौरव

ओ३म् चार वेद, ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद ईश्वरीय प्रदत्त ज्ञान के ग्रन्थ हैं। इन वदों का सर्वाधिक प्रमाणित भाष्य

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्मविज्ञान

सृष्टि को किसने, कैसे व क्यों बनाया?

ओ३म्                               हम जिस संसार में रहते हैं वह किसने, कैसे, क्यों व कब बनाया है? इस प्रश्न का उत्तर न

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