एक दलित आर्य स्वामी अनुभूतानन्द जी का प्रेरक व समर्पित जीवन
स्वामीजी अनुभूतानन्दजी आर्य समाज के बहुमूल्य रत्न थे। दलित परिवार में जन्में स्वामी जी के मन में आर्य समाज व
Read Moreस्वामीजी अनुभूतानन्दजी आर्य समाज के बहुमूल्य रत्न थे। दलित परिवार में जन्में स्वामी जी के मन में आर्य समाज व
Read Moreमहर्षि दयानन्द को 13, 15 और 17 वर्ष की आयु में घटी शिवरात्रि व्रत, बहिन की मृत्यु और उसके बाद
Read Moreमहर्षि दयानन्द सरस्वती (1825-1883) आर्य समाज के संस्थापक हैं। आर्य समाज की स्थापना 10 अप्रैल, 1875 को मुम्बई के काकडवाड़ी
Read Moreभारतीय व विदेशी विद्वान स्वीकार करते हैं कि वेद संसार के पुस्तकालय की सबसे पुरानी पुस्तकें हैं। वेद चार है,
Read Moreदेहरादून रविवार 23 नवम्बर, 2014। वैदिक साधन आश्रम तपोवन, देहरादून में आयोजित युवक-युवती आर्य महासम्मेलन के आज समापन दिवस पर
Read Moreदेहरादून 22 नवम्बर, 2014। हमारा देश ऋषि-मुनियों का देश है। एक समय ऐसा भी था जब हमारे पूर्वज बिना पुस्तक,
Read Moreमहर्षि दयानन्द प्रज्ञाचक्षु दण्डी गुरू स्वामी विरजानन्द सरस्वती के योग्यतम शिष्य थे। उन्होंने नवम्बर, 1860 से लगभग 3 वर्ष तक
Read Moreसत्य और असत्य दो शब्द हैं। सत्य किसी पदार्थ का वह स्वरूप होता है जो कि यथार्थ में वैसा ही
Read Moreमनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। उसके चारों ओर अपने निकट सम्बन्धी और पड़ोसियों के साथ मि़त्र व पशु-पक्षी आदि का
Read Moreएक शाश्वत प्रश्न है कि मैं कौन हूं। माता पिता जन्म के बाद से अपने शिशु को उसकी बौद्धिक क्षमता
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