वेदाविर्भाव और वेदाध्ययन की परम्परा पर विचार
सृष्टिकाल के आरम्भ से देश में अनेक ऋषि व महर्षि उत्पन्न हुए हैं। इन सबकी श्रद्धा व पूरी निष्ठा ईश्वरीय
Read Moreसृष्टिकाल के आरम्भ से देश में अनेक ऋषि व महर्षि उत्पन्न हुए हैं। इन सबकी श्रद्धा व पूरी निष्ठा ईश्वरीय
Read More“माता भूमि पुत्रो अहं पृथिव्या” इस वेद की सूक्ति में निहित मातृभूमि की सेवा व रक्षा की भावना से सराबोर
Read Moreमहर्षि दयानन्द द्वारा प्रस्तुत आर्य विचारधारा में वह प्रभाव व शक्ति है जिसका अनुकरण व अनुसरण करने पर एक सामान्य
Read Moreसंस्कार की चर्चा तो सभी करते व सुनते हैं परन्तु संस्कार का शब्दार्थ व भावार्थ क्या है? संस्कार किसी अपूर्ण,
Read Moreमहर्षि दयानन्द सरस्वती के आत्म कथन में हम पढ़ते हैं कि उन्होंने 14 वर्ष की अवस्था में पिता के कहने
Read Moreवेद एवं वैदिक साहित्य में मनुष्य समाज को गुण, कर्म तथा स्वभाव के अनुसार चार वर्णों ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य तथा
Read Moreसंसार में वैदिक धर्म व संस्कृति सबसे प्राचीन है। इसका आधार चार वेद – ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद एवं अथर्ववेद हैं।
Read Moreकार्तिक अमावस्या दीपावली के बाद शुक्ल पक्ष के दूसरे दिन भाई दूज का पर्व देश भर में मनाया जाता है।
Read Moreदयानन्द महाभारत काल के बाद से अब तक के वेदों के सबसे महान ऋषि व विद्वान थे। ईश्वरीय ज्ञान वेद
Read Moreदयानन्द आर्य समाज के संस्थापक हैं। आप विश्व के इतिहास में सर्वोत्तम वेदवेत्ता, वेदज्ञ, वेद प्रचारक, वेदोद्धारक, वेदभक्त, वेदमूर्ति, वेदर्षि,
Read More