Author: *मनमोहन कुमार आर्य

सामाजिक

मांगने के स्वभाव वालों को दूसरों के सामने झुकना पड़ता है जो गुलामी का प्रतीक है: आचार्य आशीष दर्शनाचार्य

ओ३म् –देहरादून की आर्य संस्थाओं द्वारा आयोजित मधुर पारिपारिक संबंध कार्यशाला सम्पन्न- आज रविवार 26 जून, 2016 को देहरादून की

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

वेदों में स्तुति और सम्पूर्ण विज्ञान पर प्रो. बालकृष्ण के उत्तम विचार

ओ३म्   प्रो. बालकृष्ण आर्यसमाज के एक प्रमुख ऋ़षिभक्त वैदिक विद्वान हुए हैं। आपका जन्म अविभाजित भारत के पश्चिमी पंजाब

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सामाजिक

जाति प्रथा देश का प्रबल शत्रु। आर्यसमाज ने जाति प्रथा को हिलाया तो परन्तु उसे समाप्त नहीं कर सके: डा. रघुवीर वेदालंकार

ओ३म्   देहरादून के श्रीमद् दयानन्द आर्ष ज्यातिर्मठ गुरुकुल पौंधा के तीन दिवसीय वार्षिकोत्सव के दूसरे दिन 4 जून, 2016

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विज्ञान

भारत के अन्तरिक्ष वैज्ञानिकों की उत्कृष्ट सफलता पर बधाई

ओ३म् कल भारत ने अन्तरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में अभूतपूर्व सफलता प्राप्त की जिससे भारत विश्व में विज्ञान के क्षेत्र

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

भारतीयों के असंगठन, फूट और जन्मना जातिवाद ने भारत को परतन्त्र बनाया था: धर्मपाल शास्त्री

ओ३म् –गुरुकुल पौंधा-देहरादून में 4 जून 2016 को आयोजित वर्णाश्रम सम्मेलन-   गुरुकुल पौंधा-देहरादून के वार्षिकोत्सव के दूसरे दिन 4

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

वेद मनुष्यों के ईश्वर प्रदत्त सनातन चक्षु हैं: डा. रघुवीर वेदालंकार

ओ३म्   श्रीमद् दयानन्द आर्ष ज्योतिर्मठ गुरुकुल, पौन्धा-देहरादून के वार्षिकोत्सव के प्रथम दिन 3 जून, 2016 को आयोजित अपरान्ह सत्र

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

ईश्वर द्वारा दिया गया ज्ञान केवल वेद है अन्य नहीं: स्वामी श्रद्धानन्द

ओ३म्   देहरादून स्थित श्रीमद् दयानन्द आर्ष ज्योर्तिमठ गुरुकुल के वार्षिकोत्सव में 3 जून के अपरान्ह के सत्र में वेद

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अन्य लेख

स्वामी दयानन्द के विचारों की देन थे हमारे प्रेरणास्रोत आर्य विद्वान अनूप सिंह

ओ३म् आज 15 वीं पुण्य तिथि के अवसर पर 15 वर्ष से पूर्व देहरादून में आर्य समाज के क्षेत्रों में

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सामाजिक

ईश्वर का मिलना मुश्किल नहीं है

ओ३म्   कुंवर सुखलाल आर्यमुसाफिर (1890-1981) आर्यसमाज के सुप्रसिद्ध गीतकार व भजनोपदेशकों में से एक प्रमुख भजनोपदेशक थे। आपने अपने

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

अपवित्र जीवात्मा पवित्र ईश्वर का साक्षात्कार नहीं कर पाती

ओ३म्   ईश्वर व जीवात्मा दो पृथक पृथक चेतन सत्तायें हैं। दोनों ही अनादि, नित्य, अनुत्पन्न, अविनाशी, अमर, ज्ञान व

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