जिस दिन चांद की रोशनी ज्यादा होती है, उसी दिन उसका दाग ज्यादा चमकता है। चाँद अक्सर सोचता है, इस रात के अँधेरे में, इस दाग के साथ दर्द को भी छुपा लूंगा! पर, पता नहीं हर बार क्यूँ वो भूल जाता है! की सूरज आके, उसी अंधेरे को मिटा के, चाँद को अपनी बाँहों […]
Author: मयूर जसवानी
शहीदों को श्रद्धांजलि : मौत का मल्हार
सबकी आँखें भीगी-भीगी लगी है, आज मेरे देश में! लगता है, सरहद पे कहीं लहू बरसा है। बेवा की बस्ती में भी, जश्न चल रहा है! लगता है, कोई केसरिया बन के आ रहा है। बच्चे खिलौने ख़ारिज कर रहे हैं! लगता है, कोई सुपुर्द-ए-खाक होकर लौट रहा है। अब वो शमां के आस-पास परवाने […]
छोड दी जिंदगी को,
छोड दी जिंदगी को, वक्त के हवाले; आधी पढ़ के, जैसे कोइ किताब! बहे गया प्रवाह, सरलता की सरिता में; डूब गयी नदी, जैसे कोइ सागर में! तूट गया कोइ तारा, मुरादें पूरी करने; खाली किया आसमान को, जैसे कोइ जैल, मुजरिमों से। छोड दी जिंदगी को, वक्त के हवाले… ©मयूर […]
मस्ताने की दोस्ती!
कोई दिवाना कहेता है,कोई मस्ताना कहेता है। मगर मेघ की फरियाद को,बस मयूर समझता है! नजदीक तो हैं हम यहाँ,जिस्मों की दूरी है। रुह से तुभी मेरी,मैं भी तेरा रोम-रोम कहेता है! इक अन्जान राह पे,अकेले ही भटक रह। कीसी ने थामा हाथ़ तो,वहीं पे ही खो गया! मंजील को भूल के,कर बैठा मार्ग […]
मैं कैसे मनाऊँ दिवाली?
मैं कैसे मनाऊँ दिवाली? जब वो खेल रहे है होली! मैं कैसे पटाख़े जलाऊँ? जब वो खून से बना रहे हैं रंगोली! मैं कैसे शिरा-पूरी खाऊँ? जब वो सरहद पे शिष कटा रहे हैं! मैं कैसे मिठाईयाँ बाँटुं? जब वो मिट्टि में मिल रहे हैं! मैं कैसे नव-वस्त्र खरीदुं? जब वो तिरंगे में […]
कविता : बारिश
कल – ए-बारिश तुझे बरसना है तो, दिल खोल के बरस, यूँ बूँद-बूँद कर तड़पाया मत कर, भीगना चाहता हूँ तेरी, माह-रुहता से, लबों तक आके अब प्यासा मत रख ! आज बडे अरसों बाद आज तेरी बूँदों से भीगा हूँ खुले पैर जब बारीश, तेरे संग खेला हूँ होठों से छुआ जब तेरे अमी-रस […]
पिता
मैं मुबारक बात आज कहता हूँ मैं आपकी तारीफें सिर्फ करता हूँ मैं पल-पल इंतजार जिनका करता हूँ मैं आपके दीदार का बयाँ कहता हूँ। हो तात, पिता भगवंत आप मेरे गुन-गाऊँ अब आपके कितने घनेरे? है जन्म-दाता जब आप ही मेरे, इन लफ्जों से भी आप हो बहुत अनेरे। छत्र-छाया में आपकी, मैं भूला […]
बेवजह कुछ माँगने!
झुकता नहीं हूँ मैं उन मंदिर और मस्जीद में! जहाँ जाते हैं सब बेवजह कुछ माँगने। देते तो हैं नहीं उस मुफलीस को कुछ, जो आता नहीं बेवजह कुछ माँगने। बदल देते हैं मुर्शिद, मुराद पुरी ना होने पर; चले जाते हैं कहीं और, बेवजह कुछ माँगने। जब जानते हो, माँगने से मर जाना अच्छा, […]
मैं फिर से इस जहाँ में आऊँगा!
मैं फिर से इस जहाँ में आऊँगा! मैं प्यार के तेल से दीप जलाऊँगा, अंधियारे रिश्तों को रोशन करुँगा, बिछड़ गये थे जिंदगी के सफर में जो, मैं फिर उजियाला कर उन्हें ढूंढ लाऊँगा! मैं प्रीति के गीत सुनाऊँगा, नीरस जीवन का संगीत सुनाऊँगा, टूट गये थे साज़ मेरी गलती से जो! आज फिर उनसे […]
माँ
माँ तू ही है जन्म दाता, तेरे बिना जीवन खटकाता। हाथ पकड़कर चलना सिखाया, गीले बिस्तर से सूखे में सुलाया। पढाई में मदद करके महान बनाया, सबने तेरे रुप में ही खुदा पाया। अंधेरी रात में लोरी देकर दुःख को दूर भगाया, निंद्रा के सपनो को दुनिया में तूने दिखाया। जब […]