बस की खचाखच भीड़ में कई जगह उड़ती हुई नजर डालने के बाद मेरी नजर एक सीट पर टिक गई, जिस पर तीन दुबले-पतले, सींकिया से बदन के युवक बैठे थे। शायद वहाँ सम्भावना बने, यह सोचकर...
“नमस्कार ।” अचानक घर आये सूटबूटधारी युवक ने उन्हें अभिवादन किया । “जी, नमस्कार ।आइए बैठिए ।”उनका पहले से ही फूला हुआ सीना कुछ और फूल गया, वे इस योग्य हैं ही कि लोग उन्हें अभिवादन करें...
“विवेक, तेरा ही ठीक है यार ! यूँ लगता है,जैसे किसी शहजादे की जिन्दगी जी रहा है तू ! इतनी ढेरसारी पाकेटमनी तुझे कैसे देते हैं तेरे पापा ! मेरे पापा तो यार दस रुपये भी...
पूजा आफिस में घुसते-घुसते गेट के बाहर ही ठिठक गई। भीतर उसी की बातें हो रही थीं। ” यार, यह जो पूजा है न ! जरा सा लिफ्ट नहीं देती। हम क्या इतने बुरे हैं। इसने...
Social