Author: नवीन श्रोत्रिय 'उत्कर्ष'

कुण्डली/छंद

छन्द : शोकहर/ सुभांगी

सुनो दिवानी,राधा रानी,बृषभानु लली, रख प्रीती । क्षोभ सतावे,चैन न आवे,दिल ही जाने,जो बीती । यह सब साँचो,आँखिन बांचो,नहि कुटिल

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कुण्डली/छंद

कुण्डलिया

(१) कान्हा  तेरा  नाम  सुन, मन  में  नाचे  मोर ।तेरे  सुमिरन  मात्र  से, होय   सुहानी    भोर ।।होय  सुहानी

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मुक्तक/दोहा

विधा : दोहे

(1)प्रेम रहा नहि प्रेम अब,प्रेम बना व्यापार |प्रेम अगर वह प्रेम हो,प्रेम करे भवपार ||(2)प्रेम संग पेशा मिला,हुआ बाद फिर

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कुण्डली/छंद

छंद : मत्तग्यन्द सवैया

देख गरीब मजाक करो नहि, हाल बनो किस कारण जानो। मानुष दौलत पास कितेकहु, दौलत देख नही इतरानो। ये तन

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गीत/नवगीत

गीत : मिटटी वाले दीप

मिट्टी वाले दीये जलाना जो  चाहो  दीवाली  हो उजला-उजला पर्व मने कही  रात  न काली हो मिटटी वाले…………….. जब से

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मुक्तक/दोहा

गांधी एवं शास्त्री जी पर दोहे

दो अक्टूबर को हुए,लिये अनोखा काम । गांधी लाल  बहाद्दुर,उन  दोनों  के नाम ।। ===================== अठारह सौ उनहत्तर,वर्ष समझ यह खास ।

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मुक्तक/दोहा

प्रेरक दोहे

अब तो अपनी सोच को,बदलो पाकिस्तान । घर में घुसकर  मारते,जब  लेते  हम  ठान ।। निकल गया जो हाथ से,बाद

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