लघुकथा – जीत
अपने रिश्तेदार की शादी में सास अपने दोनों बेटों और बहुओं के साथ गाँव आई थी। दोनो बेटे सरकारी जॉब
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Read More“देखो अपने गाँव का अमित पूरे प्रखंड में अव्वल आया है मेट्रिक की परीक्षा में।” दीपक बाबू ने कहा। “अरे
Read More“आज दीपक बाबू को अहले सुबह मंदिर परिसर में झाड़ू लगाते लोगों ने देखा।” पत्नी ने चाय की चुस्कियाँ लेते
Read More“आज श्राद्ध कर्म संपन्न हो गया। ब्राह्मण भोज के बाद हित कुटुंबों ने भी भोज में शरीक होकर अपना फर्ज
Read Moreदोपहर का समय था। सुनसान सड़क पर एक अधेड़ भिखारी को जाते देखकर अपने घर के बरामदे में बैठे पतिदेव
Read More“यह क्या है दादू? रंग उखड़ गया- सा लगता है और जंग भी लग गई है। “इसे लेटर बॉक्स कहते
Read Moreअजय बाबू सिग्नल की बत्ती के हरी होने का इंतजार कर रहे थे। गाड़ी की पिछली सीट पर बैठा उनके
Read Moreपाती तुम्हारे प्यार की दिल में संजोए रखी है; ऋतुराज- सा चिरहरित तुम्हारा निर्मल प्यार तुम्हारे मीठे बोल तुम्हारी आँखें
Read Moreसास के कहने पर बहू कन्या पूजन के लिए मंदिर पहुँची और एक प्यारी-सी आठ साल की बच्ची को दंडवत
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