धीमा स्वर कब उच्च हो गया दोनो को ही पता नहीं चला।कमरे के बाहर घर के सभी सदस्य जमा हो गए थे। नयी नवेली बहू बेटे से सवाल पर सवाल कर रही थी, “हाँ, कोरोना से बचना चाहिये।शादी किये महीना पूरा हो गया।आप और हम कब तक सोशल डिस्टेंसिंग मनाएंगे?? हम कब तक एक दूसरे […]
Author: निवेदिता श्रीवास्तव
ग़ज़ल
सियासत में सभी कहते बदी है। जो डूबा तर नहीं पाया कमी है। क़यामत ये नयी दुनियाँ कहूँ क्या इसे कुछ कह न पाना बेकसी है। अदीबों का यहाँ है क़त्ल होता यहाँ गंगा सदा उल्टी बही है। कहें देखो सभी साक़ी को’ रानी महारानी भुलायी सी गयी है। भगत सिंहों तुम्हें खोजे जमाना। तुम्हीं […]
संस्मरण : वो होस्टल के दिन
बात उन दिनों की है जब हम परास्नातक करने गोरखपुर विश्वविद्यालय में पहुँचे।दाखिला मिलने के बाद रहने की समस्या आयी तो विश्वविद्यालय के महिला छात्रावास रानी लक्ष्मी बाई पहुँच गए।पर मैट्रन जी ने जगह नहीं है, कह कर बाहर का रास्ता दिखा दिया। पढ़ाई तो करनी ही थी लिहाजा अपनी एक स्नातक करते समय की […]
कुण्डली
कोरोना की सूचना, छिपती कब है यार। छुपम छुपाई खेलता,राही खाता मार। राही खाता मार,घड़ी अलबेली आई। कानूनन अपराध,कहें सब ही अब साईं। वाम भजे श्री राम,हुआ क्या बोलो टोना। नमन करें कर जोड़,जय जय तेरी करोना। — निवेदिता श्री
चंद दोहे आरक्षण के नाम
” दीमक वाले देश में,बस कुर्सी की होड़। आरक्षण की आड़ में,पनप रहा है कोढ़।।” “आरक्षण धरना लगे, देशद्रोह सम पाप। गदहे दौड़े कब कभी,जीन कसें क्यूँ आप?” “आरक्षण की मार से,योग्य हुए लाचार। सच्चा मिट्टी में पड़ा, झूठे का व्यापार।।” “गगन धरा सब रो रहे,मानव को नहिं चैन। आरक्षण से बाँटता,खुद को ही दिन-रैन।।” […]
लघुकथा – वर्जित
युगों बाद युगल धरती की ओर आया था। स्त्री- ये कीड़े मकोड़े से क्या दिख रहे? एक दूसरे को मारते-काटते। पुरुष- हमारी संतान। स्त्री- नहीं ऐसा नहीं हो सकता।हमारी सन्तान में इतना काम, क्रोध, नफरत? पुरुष- बीज हम दोनों ने ही बोया था। ईश्वर की चेतावनी भूल कर। बोया पेड़ बबूल का…. — निवेदिता
यात्रा संस्मरण – शिवाना समुद्रम
जब जैन धर्म में चतुर्मास शुरू होता मुझे प्रवास के लिए समय मिलता सदा। इस वर्ष फिर महाराष्ट्र, कर्नाटक जाना हुआ। इसी श्रृंखला में बंगलुरू से 135 किलोमीटर की दूरी पर मंड्या के छोटे से गाँव मलवल्ली में शिवसमूद्रम प्रपात जाना हुआ। शिव समुद्रम प्रपात कावेरी नदी पर है ।98 मीटर की ऊँचाई से जल […]
ग़ज़ल
यार बनके जो भूल जाते हैं। बाख़ुदा याद रोज आते हैं। कोई वादा नहीं हुआ फिर भी। राह में फूल हम बिछाते हैं। आख़िरी ख़्वाब आख़िरी चाहत। दफ़्न सीने में गुनगुनाते हैं। वो नदी की तरह दिखें सबको। सिसिकियाँ तह में जो दबाते हैं । ज़ीस्त ये इश्क़ में लगायी तो। कब्र तक पाँव लड़खड़ाते […]
दीक्षांत समारोह
28 जनवरी, आबूरोड, शांतिवन में अन्नामलाई विश्वविद्यालय द्वारा दीक्षांत समारोह का भव्य आयोजन किया गया, जिसमें देश के सभी राज्यों के विद्यर्थियों को डिग्री देकर सम्मानित किया गया। लखनऊ की निवेदिता श्रीवास्तव को परास्नातक (मूल्य व आध्यात्मिकता) की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण करने हेतु डिग्री देकर सम्मानित किया गया।
काव्य सभा व सम्मान समारोह
8 जनवरी 2018, दिन सोमवार, विश्वपुस्तक मेला, प्रगति मैदान के लेखक मंच से लखनऊ के काव्या सतत साहित्य यात्रा समूह के तत्वावधान में काव्यसभा व सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। समूह की अध्यक्ष निवेदिता श्रीवास्तव ने वर्ष 2017 का सम्मानित “शारदेय रत्न” पुरस्कार नवागत श्रेणी में श्रीमती प्रतिमा प्रधान व वरिष्ठ साहित्यकार की श्रेणी […]