मुक्तक- आँचल
सूरज की तरह लगे मुझे माँ का #आँचल, करता रहता रोशन मुझे हरदम, मैं सूरज ना सही चिराग़ बनकर तो,
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Read Moreकक्षा में अध्यापक जी बच्चों को वृक्ष की उपयोगिता के बारे में बता रहे थे…. “बच्चों क्या तुम्हें पता है?
Read Moreआज़ पूरा भारत फिर से एक हो गया….. वाह! मोदी जी तुम्हें सलाम, जो न कर पाया कोई आज़ तक,
Read Moreबंद ताले की चाबी हे भोले बाबा दे दो वरदान मुझे, फिर से चुना जाऊँ इस गद्दी के लिए, जो
Read Moreशब्दों के तीर चलाते, बाणों की वर्षा करते, आते चार साल बाद करने मानवता के मन का शिकार, देखो-देखो
Read More“उम्मीदों से बँधा एक ज़िद्दी परिंदा है इंसान, जो घायल भी उम्मीदों से है और ज़िंदा भी उम्मीदों पर
Read Moreकभी माँ बनकर जन्म दिया, कभी बहन बनकर राखी बाँधी, कभी सुहागन बनकर घर बनाया, कभी पुत्री बनकर गौरवान्वित करवाया।
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