गीतिका/ग़ज़ल *पावनी दीक्षित 'जानिब' 17/11/2017 ग़ज़ल अपने हालात देखे हंसी आ गई ये कहां से कहां ज़िंदगी आ गई एक नज़र उनकी आज हमपे पड़ी कि Read More
गीतिका/ग़ज़ल *पावनी दीक्षित 'जानिब' 22/10/2017 ग़ज़ल ये तमाम उम्र गुजारी है तेरे ख़यालों में बची है जितनी गुज़र जाएगी सवालों में । ग़म ए तन्हाई के Read More
गीतिका/ग़ज़ल *पावनी दीक्षित 'जानिब' 24/09/2017 ग़ज़ल मुझे इस वक्त ने ही वक्त का मारा बना दिया जीतने की तमन्ना ने हमें हारा बना दिया। हर किसी Read More
गीतिका/ग़ज़ल *पावनी दीक्षित 'जानिब' 24/09/2017 ग़ज़ल इन आंसुओं का मोल चुकाया न जाएगा अब हमसे भी कोई गीत गाया न जाएगा । जी चाहता है अश्क Read More
गीतिका/ग़ज़ल *पावनी दीक्षित 'जानिब' 02/08/2017 ग़ज़ल जब आंखों के वीराने में घना अंधेरा छा जाता है तब धुंधली परछाईं में भी ख्वाब सामने आ जाता है। Read More
गीतिका/ग़ज़ल *पावनी दीक्षित 'जानिब' 02/08/2017 ग़ज़ल जिसे दिल का रोग लग जाता है उसको न कोई दवा लगे दिन रात तड़पते रहते हैं कभी उनको न Read More
गीतिका/ग़ज़ल *पावनी दीक्षित 'जानिब' 17/07/2017 ग़ज़ल जमीं से आसमां तलक ग़मों के साए हैं कि बनके बोझ जमीं पर हमतो आए हैं । ज़िंदगी कश्ती पे Read More
गीतिका/ग़ज़ल *पावनी दीक्षित 'जानिब' 09/07/201709/07/2017 ग़ज़ल – हया हया आंखो में अब बहुत मुश्किल से मिलती है बेशर्मी आजकल तो यहाँ नाजों से पलती है । बयां कर Read More
गीतिका/ग़ज़ल *पावनी दीक्षित 'जानिब' 16/06/201716/06/2017 ग़ज़ल लेके बर्बाद मोहब्बत तेरी ख़ुशी के लिए हम तेरे शहर में आएंगे दो घड़ी के लिए । हम मुसाफिर हैं Read More
गीतिका/ग़ज़ल *पावनी दीक्षित 'जानिब' 07/06/2017 ग़ज़ल २ जाने कितने ख्वाब हमारे अंतर मन में टूटे कुछ तो दिल में क़ैद रहे कुछ हाथों से छूटे । कैसे Read More