गीतिका/ग़ज़ल *पावनी दीक्षित 'जानिब' 20/09/2020 ग़ज़ल ये कुदरत का कहर है या किस्मत का असर है कोई दीवार न छत है लोग कहते हैं ये घर Read More
गीतिका/ग़ज़ल *पावनी दीक्षित 'जानिब' 17/08/202027/08/2020 ग़ज़ल तू है आसमा और मैं हूं ज़मीं तेरा मेरा मिलन होना मुश्किल है। मैं सागर किनारे पड़ी रेत हूं मेरी Read More
गीतिका/ग़ज़ल *पावनी दीक्षित 'जानिब' 11/07/2020 ग़ज़ल सावन की बरसातों में प्रेम का अंकुर फूट न जाए एक बेचैनी सी है मन में धैर्य का धागा टूट Read More
गीतिका/ग़ज़ल *पावनी दीक्षित 'जानिब' 11/06/202001/07/2020 ग़ज़ल ये सोंच के दर पे आए थे अपनों से बगावत ठीक नहीं हंस भी ना सकूं रो भी न सकूं Read More
गीतिका/ग़ज़ल *पावनी दीक्षित 'जानिब' 10/06/2020 ग़ज़ल ये सोंच के दर पे आए थे अपनों से बगावत ठीक नहीं हंस भी ना सकूं रो भी न सकूं Read More
गीतिका/ग़ज़ल *पावनी दीक्षित 'जानिब' 05/05/2020 ग़ज़ल मैं हूं मुजरिम तो मुझे हक से सजाएँ दे दो वर्ना बाहों मे अपनी मुझको पनाहें दे दो। बाद मरने Read More
गीतिका/ग़ज़ल *पावनी दीक्षित 'जानिब' 10/04/2020 ग़ज़ल जुदा तुमसे नही हूं सुन तेरी परछाईं हूं मैं गुजरती है तुम्हें छू कर वही पुरवाई हूं मैं। तुम्हारे दिलकी Read More
गीतिका/ग़ज़ल *पावनी दीक्षित 'जानिब' 14/03/2020 ग़ज़ल बिन तेरे हमको जीना गवारा नहीं , मैं कैसे यह मान लूं तू हमारा नहीं। हर सदा होके गुजरी तेरे Read More
गीतिका/ग़ज़ल *पावनी दीक्षित 'जानिब' 27/02/2020 ग़ज़ल दुनिया है पास फिर भी तेरा इंतजार है आओगे एक दिन तुम मुझे ये ऐतबार है। लब साथ नहीं देते Read More
गीतिका/ग़ज़ल *पावनी दीक्षित 'जानिब' 05/01/202005/01/2020 ग़ज़ल हंसती हुई आंखों के सीने में समंदर है ये राज किसे मालूम है गम दिल के अंदर है। तनमन जिसपे Read More