Author: *प्रमोद दीक्षित 'मलय'

पर्यावरण

वर्टिकल फॉरेस्ट : गगनचुंबी इमारतों में लहलहाते जंगल

प्रकृति सृष्टि रचना का आधार है। प्रकृति आनंद का उत्स है। प्रकृति दिव्यतम है, अन्यतम है। वह प्रीतिकर स्नेह रसागार

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इतिहास

लाला लाजपत राय : ओज, ऊर्जा एवं आह्वान का अविरल प्रवाह

30 अक्टूबर, 1928। लाहौर रेलवे स्टेशन पर हजारों की संख्या में अहिंसक देशभक्तों का जमावड़ा। हाथों में लहराते काले झंडे,

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समाचार

प्रकृति के आंगन में पुस्तक को मिला संतों का स्नेह एवं सान्निध्य

अतर्रा (बांदा)। जनपद निवासी शिक्षक एवं साहित्यकार प्रमोद दीक्षित मलय के संपादन में शैक्षिक संवाद मंच की प्रकाशन योजना अंतर्गत

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