यह जगत पांच भौतिक तत्वों द्वारा बना है। इन तत्वों में आकाश सबसे सूक्ष्म है। इसी कारण आकाश अपने अस्तित्व को सिर्फ ध्वनि द्वारा ही सिद्ध करता है। इस आकाश तत्व को समझने के लिए या इसकी ध्वनि तरंगों को समझने के लिए एक विशेष किस्म का वैज्ञानिक यंत्र आवश्यक है। इस आकाश तत्व को […]
Author: प्रतिभा देशमुख
“कामधेनु गौमाता सुरभि”
एक ऐसा दिव्य स्थान, ऐसा दिव्य मंदिर, दिव्य तीर्थ देखना हो तो बस, वह गौमाता से बढ़कर कोई नहीं है .सनातनधर्मी हिंदुओं के लिए न कोई देव स्थान है, न कोई जप-तप है, न ही कोई सुगम कल्याणकारी मार्ग है. न कोई योग-यज्ञ है और न कोई मोक्ष का साधन ही.’गावो विश्वस्य मातरः’ देव जिसे […]
निरोगी जीवन के महत्वपूर्ण सूत्र
“निरोग जीवन” एक ऐसी विभूति है जो हर किसी को अभीष्ट है .कौन नहीं चाहता कि उसे चिकित्सालयों-चिकित्सकों का दरवाजा बार-बार न खटखटाना पड़े,उन्हीं का, ओषधियों का मोहताज होकर न जीना पड़े. पर कितने ऐसे हैं जो सब कुछ जानते हुए भी रोग मुक्त नहीं रह पाते ? यह इस कारण कि आपकी जीवन शैली […]
दान किसे कहते हैं?
दान का शाब्दिक अर्थ है – ‘देने की क्रिया’. सभी धर्मों में सुपात्र को दान देना परम् कर्तव्य माना गया है. हिन्दू धर्म में दान की बहुत महिमा बतायी गयी है. आधुनिक सन्दर्भों में दान का अर्थ किसी जरूरतमन्द को सहायता के रूप में कुछ देना है. दान किसी वस्तु पर से अपना अधिकार समाप्त करके दूसरे का […]
“वेदान्त”
जय श्रीकृष्ण: […]
भक्ति में दृढ़ता कैसी हो
तन और मन दोनों की निर्मलता से की गई उपासना तुरंत फलीभूत होती है.इसीलिए यम, नियम, आसन प्राणायाम आदि द्वारा तन और मन को शुद्ध करने की बात कही गई है.विधि और विधान के द्वारा व्यवस्था अनुशासित होती है ,बिना अनुशासन के न तो समाज की रह सकता है न ही धार्मिक कर्म . आपको […]
“ब्रह्म चिन्तन” किसे कहते है ?
पानी का अपना कोई आकार नहीं होता. उसे जिस पात्र में भी डालते हैं, वह उसी का आकार ले लेता है. इसी तरह चित्त का भी अपना कोई आकार नहीं होता.उसको जिस ख्याल में आप रखेंगे, उसी के मुताबिक हो जाएगा. चिंतन का अर्थ होता है, मन का किसी एक विचार में बार-बार रमण करना. […]
“माँ सरस्वती”
जय श्रीकृष्ण: वसंत पंचमी के शुभ अवसर पर सभी को शुभ कामना . […]
“ईश्वर और सत्य”
जय श्रीकृष्ण: […]
आत्मबल से मोक्ष तक
हर व्यक्ति सफल होना चाहता है, शिखर चाहता है, परन्तु विवेक का प्रयोग नहीं करता . जीवन को सफल बनाने की तमाम परिस्थितियों के बावजूद विवेक न होने पर व्यक्ति रोशनी के बीच भी अंधेरों से घिरा रहता है. निराशा और हताशा प्राप्त करता है जो हमारे मनोबल को कमजोर कर देती है. आप अपनी […]