खुशियों की होली
रंग प्रीत की सज गई आज। है खुशियों की होली।। उड़े गगन में तितली जैसे, मंजुल दिखे नजारे। रंग देख
Read Moreरंग प्रीत की सज गई आज। है खुशियों की होली।। उड़े गगन में तितली जैसे, मंजुल दिखे नजारे। रंग देख
Read Moreश्वेता को पिछले साल की होली याद थी। कभी नहीं भूल सकती उस होली-हुड़दंग को।
Read Moreमृणाल शहर से लोकप्रशासन की पढ़ाई पूरी कर गाँव आया। उसे लगा कि गाँव अब भी वैसा ही है, जैसा
Read Moreमाह फरवरी आतुर है मन, धरा प्रेम बरसाई, सुरभित गुलाब की पंखुड़ियाँ,
Read Moreअरे! तुम लोगों की हिम्मत कैसे हुई घर के अंदर आने की ? पता नहीं कहाँ–कहाँ से लोग आ जाते
Read More“ओह गॉड ! तो तुम घर पर ही हो। मैंने तुम्हें कहाँ–कहाँ नहीं ढूँढा; और
Read More” शीला मुझे तुम्हारी बहुत फिक्र हो रही है,और होगी भी क्यों नहीं; उन्तीस बरस
Read Moreठंडी–ठंडी सी पुरवाई, दस्तक दे चहुंँओर। श्वेत वस्त्र धारण की धरती, हुई सुहानी भोर।। दृश्य देख धुंँधला–धुंँधला सा,खींचे लंबी श्वास।
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