दहन
मारा था युगों पहले पर कहां मरण होता है सालों साल जलाते पर कहां दहन होता है अब भी तो
Read Moreतू न आया मौसमेँ गुल फिर से आ गया यादों का नशा फिर से मेरे दिल पे छा गया कलियों
Read Moreहर काज में होवे तुम्हरा मनन , शंकर के सुत गिरिजा के ललन। तुम्हरे सुमिरन टल जाए विघन , शंकर
Read Moreमौसम-ए-इश्क है, उसपे ये बरसता सावन। आभी जाओ के है, मिलने को तरसता सावन। छुप गया चाँद, घटाओं के शोख
Read Moreतेरी यादों की परछाई नहीं सोने देती गुफ़्तगु की वो रानाई नहीं सोने देती रुठकर नींद जा बैठी है दूर
Read Moreमोहे अपने रंग रंगो सांवरिया इश्क की कोरी कोरी चुनरियां कृपा दया ममता करुणा को रंगा बनाओ चोखो भरो प्रेम
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