देखो तुम्हारे संसार की हालत क्या होगाई भगवान कितना लाचार है ये इंसान कितना बेबस है इंसान कोरोना की महामारी से मानव जात की हुई तबाई घरों में रहकर ही, इस महामारी से करनी है लड़ाई मनुकुलवासी पर ये कैसा आया है ख़तरों का पहर नजाने इस ‘वैरस’ का, आज हवाओं में भी है ज़हर […]
Author: राज मालपाणी ’राज’
भारत के स्वर्ग कश्मीर से धारा ३७० हटी
कल ‘वर्ल्ड फ़्रेंडशिप डे’ पर एक विचार मन में आया कल हमनें सोशल मीडिया पर तो एक दूसरे को मैसेज किए। अच्छा किया। लेकिन सही में जीवन में सच्चे दोस्त होना जरूरी है। सुख दुख के साथी। सही राह दिखाने वाले।यानी हमारी वास्तविक दुनिया के दोस्त। जो ये सोशल मीडिया के माध्यम से भी बन […]
मतदान
लोकतंत्र की यही पुकार,. वोट हमारा है अधिकार सोच समझ कर बेझिझक से, चुने अपनी सरकार मतदान करना गर्व है जनता जनर्दन का यह पर्व है प्रत्येक भारतीय नागरिक का,. यह परम कर्तव्य है प्रजा प्रभुत्व देश मे है हिन्दू, मुस्लिम, सिख, इसाई जात वाद से ऊपर उठकर हम सब है भारतीय भाई हर एक […]
हाँ हुँ मैं चौकीदार !
सबका अपना है, अलग एक किरदार हिंद का प्रधान सेवक भी है, चौकिदार भारत के सियासत में, होता है तकरार चौकन्ना रहेता है, वतन का चौकीदार ख़ात्मा होगा, वतन का सारा भ्रष्टाचार हर एक नागरिक हो, देश में चौकीदार धूल चाटने लगे है देश के बड़े नामदार भारतियों के आगे, नाम लगे चौकीदार मतदान के […]
पुलवामा की धरा पर ख़ूनी होली
जब धरा पर खेले दुश्मन, वीरों के ख़ून से होली कैसे मैं कविता लिखू,.. स्याही भर लाल-काली भरत खंड का वासी राज, गहन मौन में खोया हूँ वीर शहीदों के यादो में, लिखते-लिखते रोया हूँ पुलवामा में आतंकीयों ने, वीरों के लहू से रंगाये वीर माताओं के लालों को मौत की नींद सुलाये टूट गयी […]
परीक्षा
आया अब परीक्षाओ का मौसम पढकर बच्चों की आँखे हुई नम पूरे साल पढ़कर भी डर होता है फिर भी उनकी उम्मीदे नहीं कम पढ़ाई में अब मन नहीं है लगता पीछे रहेने से दिल मेरा घबराता पापा की डाँट, पड़ेगी सोच कर डरकर ही सही, दिन रात पढ़ता परीक्षा बच्चों की, जैसे बीमारी बढ़जाती […]
कविता
यूँ ही हवाओं में उड़ते हुए अक्षरों को अपनी मुट्ठी में पकड़ कर एक अक्षर तुम ले आओ, एक अक्षर मैं ले आऊं और एक अल्फाज बनें. अपने मन की मिट्टी में संभावनाएं उगाकर एक पंख तुम लाओ एक पंख मैं लाऊँ और एक परवाज़ बनें. कुछ पुराना छोड़ के कुछ नया जोड़ के नियति […]
करवा चौथ
मांग में भरकर सिंदूर, माँग पर माँग टिका लगाई माथे पर सजाईं बिंदिया,. कंगनो से भरी कलाई रचाई मेहंदी अपने हाथो में नाक में नथनी लगाई सज धज सोलह शृंगार कर मैं आज निखर आई भाग लिए सुहागन का रहें जन्मो जन्मो का साथ पूर्ण हुई हर आभिलाषा रहे परिपूर्ण पुनीत साथ व्रत रखकर चाँद […]
राष्ट्र भाषा हिंदी
हिंदी भाषा भारतवर्ष में ,सदा पाई है मात्रु सम मान यही हमारी अस्मिता है, और यही है हमारी पहचान हिन्दी भाषा कितनी सुन्दर, और कितनी है आसान हिन्द देश की हिन्दी संस्कृति, है पूरे विश्व में महान हिन्दी राष्ट्र की अस्मिता है, हिन्दी है वतन की आन हिन्दी सरस, सुधारस, है, जैसे अशक्त तन में […]
गीतिका
दूर होकर हमसे तुमको, अकेले चलना आ गया पास आने पर मुँह मोड़ा तब से बदलना आ गया हमसे दूर तुम जाते रहे, और मुसाफ़िर आते रहे दूरियों पर अब तुमको भी तो सम्भलना आ गया परखा था बोहोत हमको, जब तलक थे उनके जब हुए पराए हम, ख़ुद को बदलना आ गया प्रेम का […]