हास्य व्यंग्य

चाय पर धमाल 

कल एक मित्र से मिलनें जानां हुआ खुशी की बात ये थी कि वे कवि नहीँ थे लेकिन ज़्यादा खुशी की बात इसलिए नहीँ थी कि वे पत्रकार थे वैसे क़द मेंं बेशक छोटे हैँ लेकिन पत्रकारिता के क्षेत्र मेंं उनका क़द बहुत बड़ा है वे वरिष्ठ पत्रकार की श्रेणी मेंं आते हैँ मेरे आत्मीय और […]

हास्य व्यंग्य

चुनाव आचार संहिता जन विरोधी 

सभी पार्टियो के नेता जनता की सेवा करने का आश्वासन देकर वोट मांगते हैँ और चुनाव जीतने के बाद किसी को अपने किए हुऐ वादे याद नहीँ रहते ये आपने देखा होगा ज्यादातर नेता चुनाव मेंं किया हुआ ख़र्च ही ब्याज समेत वसूलने मेंं लगे रहते हैँ और फ़िर पांच वर्ष बाद चुनाव के वक़्त […]

हास्य व्यंग्य

परनिन्दा मेंं इतना रस क्यों 

लोग आज़ कल परनिन्दा मेंं इतना रस लेते हैँ कि पूछो मत जहाँ दो चार मित्र मिले नहीँ कि होने लगी परनिंदा एक शुरू हुआ तो दूसरा भी बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेनें लगेगा और याद कर कर के अपने अनुभव बताने लगेगा यदि अपने अनुभव ना हुऐ तो दूसरों से सुने हुऐ किस्से सुनाने […]

हास्य व्यंग्य

टाईम पास 

हमारी कॉलोनी मेंं रोज़ाना सुबह से ही सेल्समैनों का आना शुरू हो जाता था कोई चादर बेच रहा है तो कोई tv के साथ कुकर फ़्री दें रहा है मेरे घर की घण्टी बजते ही मेरे मन मेंं भी घंटियाँ बजने लगती हैँ बच्चे भी कहते थे छोड़ो पापाजी क्यों टाईम ख़राब करना जब कुछ […]

हास्य व्यंग्य

सर्दी मेंं नहाने पर धमाल 

जो लोग गर्मियों मेंं घंटो बाथरूम से निकलते नहीँ थे वे ही अब बाथरूम मेंं घुसने मेंं घंटो लगा देते हैँ कुछ लोग सर्दियाँ लगते ही रोज़ नहाने के प्रोग्राम मेंं परिवर्तन कर देते हैँ हमारे एक मित्र दुलाई चन्द वल्द रजाई चन्द नवम्बर मेंं नहाने के बाद सीधे मार्च मेंं ही नहाते हैँ बदन […]

गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल

एक नहीं कई बार लिखे हैं जलते ,शेर,हज़ार लिखे है सुनकर जिनसे  आग लग जाए कुछ  ऐसे अशआर लिखे हैं तुमने हमको रोका टोका पर हमनें हर बार लिखे हैं सत्य की राह पर अडिग रहे जो हमनें वही सरदार लिखे हैं बैठ किनारे नहीं लजाया तूफ़ान ओ मझधार लिखे हैं सच सबको बतलानें की […]

गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल

नदिया जब भी उफान पर आई खेत की मिट्टी कटान पर आई खड़ी फ़सल की देख भाल करने को रात की रोटी मचान पर आई फूल की तरह खिल गए चेहरे फ़सल जब खलियाँन पर आई हमने पूरी की है अपने बचचौ की जो भी ख्वाइश जुबान पर आई लोग उसका मोल भाव करने लगे […]

बाल कहानी

शाबाश बच्चो 

आज़ मुदित के बैग मेंं ममा नाश्ते का टिफ़िन रखना ही भूल गईं थी और मुदित नें भी ध्यान नहीँ दिया. जब लंच टाईम मेंं उसने बैग खोला तो ये देखकर अवाक रह गया कि ममां बैग मेंं टिफ़िन तो आज़  रखना ही भूल गईं थी. उसे भूख भी लग रही थी लेकिन अब क्या हो सकता था. जब छुट्टी […]

गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल

अपनों से जब दूर पिताजी होते हैँ बेबस और मज़बूरपिताज़ी होते हैँ बेटे साथ खड़े होते हैँ जब उनके हिम्मत से भरपूर पिताज़ी होते हैँ दादाजी से मिलनें जब भी जाते हैँ थक कर के तब चूर पिताज़ी होते हैँ अम्मा जबभी कोई फरमाईश करतीं हैँ तब कितने मज़बूर पिताज़ी होते हैँ बेटे बहुएँ मिलकर […]