/ वात्सल्य /
बेटे की प्रतिभा हरेक पिता को लगती है अपनी प्रतिभा उस बेटे में पिता अपने आपको देखने लगते हैं कि
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Read Moreदौड़ते रहते हो तुम? जग में अकेला ! कहाँ तक ? कब तक ? क्या पाया तुमने अब तक इस
Read Moreसच के आईने में… आसान है पुस्तकें पढ़ना, और अपने विचार को जोड़़ना, लेकिन, सच के आईने में कठिन होता
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Read Moreरास्ता सीधा नहीं होता धरती के अनुरूप वह करवट लेता रहता है कभी बायें की ओर कभी दायें की ओर
Read Moreतरीका है वह जीने का! सभी सीखने लगे हैं, हाय रे! हर बात पर सिर हिलाते हाँ, हाँ कर स्वर
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